2022 अब दूर नहीं...

 देहरादून। दल चाहे कोई भी क्यों न हो अगर उसकी रीढ़ कोई है तो वह है ग्रास रुट कार्यकर्ता जब-जब उस जमीनी कार्यकर्ता के साथ छल हुआ है तब-तब राजनीति का पतन हुआ है। ऐसा ही कुछ भाजपा सरकार ने दायित्व बांटते समय दोहरा चरित्र साबित कर दिखाया। इसे हल्के में लेने की भूल करने वालों को इस बात की भी जरा सी परवाह नहीं रही कि जिस कार्यकर्ता के साथ वह छल करने जा रहे हैं वह भाजपा का समर्पित कार्यकर्ताओं में से एक है ना कि दल बदलू विचारधाराओं में विश्वास रखता है। भाजपा ने उस जमीनी कार्यकर्ता को छलने का प्रयास किया जो बगैर राग- द्वेष के उस वट वृक्ष को लगातार सींचने का कार्य करता रहा। उसे इस बात का जरा सा भी इल्म न रहा कि जिस पार्टी को वह सींच रहा है वक्त पड़ने पर वह ही उससे दगा कर सकती हैं। ऐसा ही कुछ 26 तारीख को भाजपानीत सरकार करती है पहले जो शासनादेश जारी होता है उसमें पार्टी अपने मंझे हुए जमीनी कार्यकर्ताओं को बंटे दायित्व की एक सूची जारी कर देती है जिसमें 17वें नंबर में एक नाम प्रतापनगर विधानसभा के समर्पित कार्यकर्ता राजेंद्र जुयाल का भी होता है और शाम होते होते दल-बदलू विचार-धाराओं के लोग उस नाम को बदलवाने की पुरजोर कोशिश कर अपने मंसूबो में सफल भी हो जाते हैं अब सवाल जारी हुए उस शासनादेश पर उठता है जो पहले जारी होता है। अगर पहले त्रिवेन्द्र सरकार ने उस नाम को रखने पर विचार किया तो एकाएक आनन-फानन में उस नाम को बदलने की आवश्यकता क्यों पड़ती है? जबकि आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर भाजपानीत सरकार के मुख्यमंत्री ने समीकरण साधते हुए 17 दायित्वधारियों की जो लिस्ट जारी की थी जिसमें प्रतापनगर विधानसभा के उस जमीनी कार्यकर्ता का नाम भी था जो कि समय-समय पर भाजपा से मिली हरेक जिम्मेदारी का बखूबी निर्वहन करने में कभी पीछे नहीं रहा। एकाएक नाम में संसोधन होना जीरो टाॅलरेंस पर काम करने वाली त्रिवेन्द्र सरकार पर ही सवाल खड़े करता है। राजेन्द्र जुयाल के नाम में संशोधन होना कहीं न कहीं भाजपा की लचर कार्यशैली को दर्शाता है। पार्टी के इस दोहरे रवैये से क्षेत्रीय असंतोष पनपने लग गया है।  जो लोग कल तक भाजपा भाजपा करते नहीं थकते थे वे मुख्यमंत्री के इस गलत निर्णय से आहत हुए हैं। क्षेत्रीय वासिंदों की जगह जगह मीटिंग का दौर चलने लग गया है। क्षेत्र के लोग इसे क्षेत्रीय प्रतिष्ठा के साथ हुए खिलवाड़ के रुप में देखने लगे हैं। जिसको हल्के में लेने का खामियाजा भाजपा को 70 विधान सभाओं में से किसी न किसी रुप में देखने को मिल सकता है। इस क्षेत्र के लोग जहाँ जहाँ निवास करते हैं जैसे ही उन्होंने अपने इस जमीनी कार्यकर्ता को तरजीह मिलने की खबर देखी सभी ने सोशल मीडिया में मुख्यमंत्री की सराहना की। शाम ढलते ही जब इस नाम में संसोधन होकर प्रेमदत्त जुयाल चलने लगा तो जो लोग अब तक सराहना करते नहीं थक रहे थे वही लोग अब मुख्यमंत्री सहित भाजपा की संगठनात्मक कार्य शैली पर सवाल खड़े करने लगे। ये वे विधानसभा क्षेत्र हैं जहां खासकर प्रतापनगर, टिहरी, धनोल्टी, यमुनोत्री सहित ऋषिकेश (विस्थापित क्षेत्र ), हरिद्वार ग्रामीण(विस्थापित क्षेत्र) , धर्मपुर(विस्थापित क्षेत्र ) विधान सभा तक भाजपा के इस गलत निर्णय से प्रभावित हो सकती है। भाजपा ने जिन दल-बदलू विचार धाराओं के लोगों के प्रभाव में आकर ये गलत निर्णय लिया है उसका खामियाजा 2022 में भुगतना तय है। क्षेत्रीय असंतोष इस कदर बढ़ चुका है कि भाजपा की विचारधारा से जुड़े क्षेत्र के लोगों का अपने लोकप्रिय चेहरे की अनदेखी की वजह से भाजपा से मोहभंग होने लगा है। अब क्षेत्रीय असंतोष को पनपने से रोकने की भाजपा क्या रणनीति बनाती है ये तो भाजपा पर निर्भर करता है पर जिस तरह से असंतुष्ट कार्यकर्ताओं ने एक स्वर में आवाज उठानी शुरु की है उससे लगता है कि भाजपा ने अपने कुछ लोगों को खुश करने के चक्कर में दूरगामी परिणाम की परवाह नहीं की है। जिसका खामियाजा भुगतना तय है। उन्होंने नाम न लिखे जाने की शर्त पर कहा कि जिस तरह से भाजपा ने टिहरी जिले की कमान मजबूत हाथों पर न थमा कमजोर हाथों में दी है उससे 2022 अभी से बहुत कुछ कहने लग गया है वे कहते हैं आगे-आगे बहुत कुछ देखना बाकि है। अक्सर टिहरी भाजपा में योग्यता को दरकिनार कर धक्केशाही पर कुछ ज्यादा ही विश्वास किया जाने लगा है। संगठनात्मक क्षमताओं से निपुण लोगों के बजाय विश्व की सबसे बड़ी पार्टी की जिम्मेदारी कमजोर हाथों में कैसे दी जा सकती है। अब जब क्षेत्र में ऐसी बातों को तूल दिया जाने लगा हो तब उम्मीद की जा सकती है कि आगामी विधानसभा चुनाव अभी से गर्माहट पैदा करने लगे हैं। यहां तक कि कार्यकर्ता अपने काबिल चेहरों का जिक्र करना नहीं भूले एक कार्यकर्ता जिलाध्यक्ष के लिए चलने वाली प्रक्रिया पर टिप्पणी कर कहने लगा कि यहां तो संगठनात्मक क्षमताओं को ही दरकिनार किया गया है। काबिल व्यक्ति या तो पिछली पांत में या नं दो की भूमिका में रखा जाता है। जो कि सर्व विदित है। अब क्या वजह है कि टिहरी भाजपा में सामंजस्य का इतना अभाव देखने को मिल रहा है। एक कार्यकर्ता ये तक कहने लगा कि ये वही राजेन्द्र जुयाल है जो कभी संगठन मंत्री रहते हुए मुख्यमंत्री के साथ एक कार्यकर्ता की हैसियत से काम कर चुके हैं भला मुख्यमंत्री से कैसे इतनी बड़ी चूक हो सकती है। कुछ कोरोनाकाल में किए गए कार्यों की तारीफ करते नहीं थके वे कहने लगे कि जो काम जिसका है उससे भी बढ़कर अगर किसी ने काम किया तो वह लाॅक डाउन में जिला महामंत्री ने खुद के बूते कर दिखाया संगठन को कैसे आगे बढ़ाया जाता है ये वही जान सकता है जिसमें संगठन चलाने की क्षमता हो। वे ये भी जिक्र करना नहीं भूले कि भाजपा में भाजपा के खिलाफ काम करने वाली ताकतों को बढ़ावा दिया जाना शुभ संकेत नहीं है। क्षेत्रीय आक्रोश यहां तक बढ़ चुका है कि अभी नहीं तो कभी नहीं शर्त पर वे मैदान में डटे हुए हैं। अब देखना ये होगा कि भाजपा इसे कितनी गंभीरता से लेती है।

राजेन्द्र जुयाल हैं कौन?

 एक नजर उनके भाजपा से जुड़े सफर नामे पर डालते हैं।

1.संघ परिवार की विचार धारा से प्रभावित होकर छात्र जीवन में विद्यार्थी परिषद से 1987-88 में जुड़े।  

2.साल 1989 में भाजपा की सक्रिय राजनीति से जुड़े।

3.साल 1991 में महाराजा मानवेंद्र शाह के प्रतिनिधि के साथ ही विधायक प्रतिनिधि रहे। 

4.साल 1993 में युवा मोर्चा के जिला मंत्री रहे। 

5.साल 1996 में युवा मोर्चा में जिला महामंत्री रहे। 

6.1998 में विभाग संयोजक टिहरी, उत्तरकाशी के साथ यमुनोत्री विधान सभा प्रभारी रहे। 

7.साल 2000 में प्रदेश कार्यसमिति सदस्य रहे। 

8.साल 2007 में टिहरी विधानसभा का संयोजक के साथ ही लोकसभा एवं विधानसभा चुनाव में प्रतापनगर विधानसभा संयोजक के साथ ही अनेकों हरेक चुनावों में राजनीतिक सामंजस्य सांधने में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करते रहे। 

9.पिथौरागढ़ जिला प्रभारी की जिम्मेदारी का भी बखूबी निर्वहन किया। 

टिहरी भाजपा में समय-समय पर अनेक जिम्मेदारियों जैसे जिला मीडिया प्रभारी, जिला कोषाध्यक्ष, का निर्वहन किया। शिशु भारती से संचालित सरस्वती शिशु मंदिर स्कूलों के संचालन करवाने में महत्वपूर्ण योगदान रहा। विभिन्न प्रदेशों (बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, हरियाणा आदि ) में होने वाले चुनावों में पूर्णकालिक कार्यकर्ता के रुप मिली जिम्मेदारियों का बखूबी निर्वहन किया।