लोकशक्ति पार्टी ने सरकार की लचर व्यवस्थाओं को लेकर उठाए सवाल

 देहरादून। लोकशक्ति पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता बेणीराम उनियाल कहते हैं कि भले ही उत्तराखंड राज्य में पार्टी ने 2021 में नींव रखी हो लेकिन नींव की शुरुआती दौर से प्रदेश की लचर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को लेकर सवाल खड़े करते आया है। चिकित्सा-स्वास्थ्य पहाड़ी प्रदेश के आमजन की मूलभूत जरुरत है जिसके अभाव में प्रदेश के मुख्यमंत्री तक को दिल्ली एम्स की सेवाएं लेने को विवश होना पड़ा जो कि इस बात को और पुख्ता करता है कि अगर वाकई में प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाएं दुरुस्त होती तो मुख्यमंत्री को क्यों अपने प्रदेश की चिकित्सा व्यवस्था पर भरोसा नहीं था। अगर प्रदेश में सब कुछ बढ़िया चल रहा है तो दिल्ली में उपचार की ऐसी कौन सी नई तकनीक थी जिसके लिए  मुख्यमंत्री को अपना घर छोड़कर दूसरे प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं पर निर्भर रहना पड़ा। उनका तो प्रोटोकॉल और कद है तब उनके लिए बाहरी प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्थाओं पर भरोसा करना पड़ा अगर किसी आमजन के साथ ऐसी परिस्थितियाँ होती तो क्या उसे भी दिल्ली की सेवाएं दी जाती या यहां की स्वास्थ्य सुविधाओं में भरोसे छोड़ दिया जाता है और अगर यहां इतनी बेहत्तर स्वास्थ्य सुविधाएं हैं तो मुख्यमंत्री ने खुद स्वास्थ्य व्यवस्था को दरकिनार कर दिल्ली इलाज के लिए क्यों जाना पड़ता है। अब उम्मीद की जा सकती है कि आम आदमी को मिलने वाली स्वास्थ्य सेवाएं कैसी होंगी। ये पहली बार नहीं हुआ इससे पूर्व नेता प्रतिपक्ष भी कोरोना संक्रमित होने पर स्वास्थ्य लाभ लेने को दिल्ली के निजी चिकित्सालय पर भरोसा कर चुकी हैं। प्रदेश के सत्ताधारी या विपक्ष के नेताओं को इलाज के लिए दिल्ली जाना पड़ रहा है सरकार खुद की व्यवस्थाओं पर खुद ही सवाल खड़े कर रही है और अगर दिल्ली सरकार के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया कोई सवाल छोड़ जाते हैं तब इन्हें बड़ी दिक्कत महसूस होती है। आखिर उन्होंने ऐसा क्या गलत कहा कि सरकार अपनी पांच उपलब्धियां गिनवाए। अगर हैं तो गिनवाने में ऐसी कौन सी बाधा पड़ रही है। पर्वतीय क्षेत्रों में प्रायः गर्भवती महिलाओं को चिकित्सा अभाव मे दम तोड़ने की खबर समाचार पत्र की सुर्खियां होती है। अगर कांग्रेस और भाजपा ने उत्तराखंड में इतना ही विकास किया है तो वह धरातल पर दिखना भी चाहिए। बेणी राम उनियाल कहते हैं कि मेरी विधानसभा क्षेत्र घनसाली है जिसमें कि एक भी स्वास्थ्य केन्द्र नहीं है और अगर है भी तो उसमें डाॅक्टर नहीं बैठते तो सोचिए पहाड़ की जनता अपने बेहत्तर स्वास्थ्य की उम्मीद किससे करे।  पिलखी स्वास्थ्य केंद्र पर एक महिला ने समय पर स्वास्थ्य सेवाओं के अभाव में दम तोड़ दिया जिसको समय पर सही उपचार नहीं मिल पाया और प्रदेश के सफेदपोश नेताओं के लिए देश दुनिया के तमाम शहर के दरवाजे खुले हैं। इस तरह की अव्यवस्था पर जब दिल्ली के उप मुख्यमंत्री चैलेंज करते हैं तो बचाव में कैबिनेट खड़ी हो जाती है। मगर इस बात पर गहन मंथन नहीं होता आखिर क्यों कोई बेवजह सवाल खड़े कर रहा है? लोकशक्ति पार्टी किसी भी तरह से उत्तराखंड के जनमानस को उसका अधिकार दिलाने के लिए प्रतिबद्ध होकर लड़ाई लड़ेगी। उनियाल कहते हैं नई पार्टी होने की वजह से बेशक हमारे पास भले ही भीड़ तंत्र का अभाव हो मगर सरकार के खिलाफ आवाज उठाने के लिए मैं अकेला ही काफी हूँ। जनता भाजपा, कांग्रेस के मोहजाल में फंसकर इन्हें पांच पांच साल का मौका देने का काम करती आई है। जिस दिन उत्तराखंड का आमजन जागरुक होकर सही व्यक्ति का चुनाव करना शुरु कर देगा व्यवस्था स्वतः ढर्रे पर आ जाएगी। बेहत्तर शिक्षा, चिकित्सा, रोजगार के वायदे सब खोखले हैं पलायन पर प्रदेश सरकार शायद ही किसी नतीजे पर पहुंची हो जिस दिन उपरोक्त समस्याओं का निदान हो जायेगा पलायन जैसे समस्या खुद ब खुद दूर हो जाएगी। आम आदमी पार्टी बेशक उत्तराखंड में जमीन तराश रही हो उन्हें यह भी ध्यान में रखना होगा उत्तराखंड राज्य की भौगोलिक परिस्थितियां दिल्ली से भिन्न हैं। आम आदमी का ध्यान भाजपा से भटकाने से कुछ नहीं होने वाला। अगर वाकई में आप का दृष्टिकोण सही है तो आप ने उत्तराखंड के कितने प्रवासियों को दिल्ली विधानसभा चुनाव में टिकट दिलवाने में दिलचस्पी दिखाई। आज अगर जरुरत है तो उत्तराखण्ड वासियों की मूल उद्देश्य को ध्यान में रखने की 20 सालों में सिवाय श्रेय लेने से बढकर कुछ भी नहीं हो पा रहा है। जो कि शहीदों की शहादतों का अपमान है। क्या इसीलिए एक पहाड़ी प्रदेश की लड़ाई लड़ी गई थी।