शीतकालीन विधानसभा सत्र में विधायक के सवाल को कैबिनेट मंत्री ने मंत्री ने ठहराया वाजिब

 

देहरादून। विधानसभा सत्र के दौरान केदारनाथ विधायक मनोज रावत कहते हैं कि सरकार के उत्तराखंड में " हर खेत पानी " की हकीकत पर जब विधानसभा में जब बंद पड़ी 392 नहरों पर प्रश्न किया गया जो कि सालों से राज्य विभिन्न कारणों से बंद पड़ी हैं। जिसके कारण लगभग 17000 हेक्टेयर भूमि असिंचित रह जाती है। तो सवाल के जवाब में मंत्री ने ईमानदारी से इस बात को स्वीकारा कि हर साल नहरों को ठीक करने के लिए 162 करोड़ रुपए की जरूरत पड़ती है जबकि सरकार केवल 31 करोड़ ही खर्च कर रही है। वहीं प्रधानमंत्री मोदी ने "प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना" 65000 करोड़ की लागत से घोषणा की है जिसका लक्ष्य हर खेत को पानी पहुंचाने का है लेकिन हकीकत कुछ और ही है जब महकमाई काबीना मंत्री से सवाल पूछा गया तो वे 65000 करोड़ में से उत्तराखंड के हाथ कितनी धनराशि हाथ लगी तो जबाव 392 नहरों के बंद पड़े होने पर ही सिमट कर रह जाती है। क्योंकि प्रदेश के हर खेत तक पानी पहुंचाने वाली 392 नहरें तो बंद ही पड़ी हैं। वहीं विधायक का कहना है कि उत्तराखंड को इस योजना में कुछ नहीं मिला। ये योजना हवा-हवाई साबित हो रही है। अब, जब न राज्य के पास नहरों को व्यवस्थित करने के संसाधनों का अभाव है तो सवाल केंद्र के 65000 करोड़ प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना पर उठता है कि आखिर उत्तराखंड इससे कितना लाभान्वित हुआ।

अगर ऐसा ही रहा तो फिर प्रधानमंत्री की घोषणा से किसानों की आय कैसे दुगनी होगी ?

यानी कृषि सिंचाई योजना जुमला बनकर ही रह गई। वे कहते हैं कि जिस तरह हर खेत पानी पहुंच रहा है इसी तरह हर घर पानी योजना का भी एक दिन यही हश्र होना बाकी है। अब विधायक ने जब जनहित यानी किसानों की बात की तो उस पर सरकार कितना अमल करती है देखना बाकी है।