देहरादून।, भारतीय जनता पार्टी की राजनीति में चाणक्य या यूं कहें कि ब्राह्मण नेता के आने से हो सकता है स्थानीय या पहले से स्थापित राजनेता सकते में हों। मगर यूं ही रातों-रात कोई शिखर तक नहीं पहुंचता उसके लिए सांगठनिक तप कर खुद को साबित करना पड़ता है। उत्तराखंड में सुरेश भट्ट के हरियाणा प्रांत में 15 सालों के सांगठनिक अनुभवों ने उन्हें उत्तराखंड राज्य में पुराने भाजपाइयों के बजाय सीधे प्रदेश महामंत्री पद पर तरजीह दी। इससे उनके कद का आंकलन किया जा सकता है कि सुरेश भट्ट का कद संगठन में कितना प्रभावशाली है। उनका प्रदेश महामंत्री ऐसे समय में बनाया जाना जब संगठन विस्तार किया जा चुका हो और जिसमें संगठन महामंत्री का कार्य अजेय कुमार पहले से ही देख रहे और प्रदेश भाजपा में भी इस पद का दो महामंत्रियों द्वारा बखूबी से निर्वहन किया जा रहा हो। अब 2022 में सुरेश भट्ट का मूल प्रदेश में आगमन सांगठनिक दृष्टिगत कितना फायदेमंद होता है ये तो भविष्य के गर्भ में छिपा है मगर उनकी ऐसे समय में आमद से भाजपा के पुराने सिपहसलार जो वर्षों से पार्टी/संगठन में अपना लोहा मनवा रहे हैं वे जरुर सकते में होंगे। बताते चलें कि सुरेश भट्ट अखिल विद्यार्थी परिषद की राष्ट्रीय राजनीति का हिस्सा रहे हैं और साथ ही वे पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष अल्मोड़ा रहें हैं। वे उत्तराखंड राज्य के कुमाऊं मंडल से ताल्लुक रखते हैं तथा विगत 15 वर्षों से हरियाणा में प्रदेश भाजपा के संगठन महामंत्री पद की जिम्मेदारी का अच्छे से निर्वहन कर रहें हैं। उनके खाते में भाजपा का दो पंचवर्षीय सरकार के रुप में शानदार प्रदर्शन रहा है। हरियाणा में सरकार की पुनरावृत्ति करवाने में संगठन महामंत्री सुरेश भट्ट का अहम किरदार रहा है। वे अब हरियाणा रााज्य से संंगठ महामंत्री के पद से कार्यमुक्त होकर उत्तराखंड भाजपा की सक्रिय राजनीति में पदार्पण करने जा रहें हैं। जिसको देखते हुए प्रदेश अध्यक्ष बंशी धर भगत ने उन्हें उत्तराखंड भाजपा का प्रदेश महामंत्री मनोनीत किया। अब भाजपा तीन प्रदेश महामंंत्री हैैं पहले कुलदीप कुमार, राजेन्द्र भंडारी और तीसरे सुरेश भट्ट हैं। प्रदेश अध्यक्ष भगत कहते हैं कि सुरेश भट्ट के प्रदेश महामंत्री बनने से उत्तराखंड भाजपा को सांगठनिक मजबूती मिलेगी और साथ ही उनके विगत 15 वर्षों से हरियाणा प्रदेश में किए गए सांगठनिक अनुप्रयोगों का लाभ प्रदेश भाजपा को मिलेगा। अब सवाल उनके संगठन महामंत्री पद को लेकर उठता है। जबकि आरएसएस और भाजपा को उत्तराखंड में खड़ा करने में कई सांगठनिक लोगों ने अपना जीवन समर्पण कर दिया लेकिन वे आज भी भाजपा की अग्रिम कतार में नहीं पहुंच पाए। मगर भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सुरेश भट्ट को प्रदेश महामंत्री जैसे पद पर मनोनीत करने सेेे संगठन में एक उम्मीद की किरण नजर आने लगी है। अब देखना बाकि है कि भट्ट का एकाएक आगमन भाजपा में क्या गुल खिलाता हैै।
प्रदेश भाजपा में सुरेश भट्ट का आगमन