पारदर्शी प्रक्रिया अपनाने के लिए राजभवन/ मुख्यमंत्री को लिखा पत्र

देहरादून।, पूर्व दायित्वधारी रविंद्र जुगरान ने दून विश्वविद्यालय में कुलपति चयन के लिए बनाए गए पैनल पर ही सवाल खड़े किए। उन्होंने कल इस महत्वपूर्ण पद पर होने वाली चयन प्रक्रिया को पारदर्शी बनाए जाने के लिए राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री को पत्र भेज संज्ञान लेने के लिए कहा। माजरा दून विश्वविद्यालय कुलपति चयन के लिए बने पैनल को लेकर है जिसमें 20 अक्टूबर 2020 को एक सर्च कमेटी की बैठक आहूत की गई। सर्च कमेटी ने राज भवन को पैनल में आए तीन नामों को राजभवन भेज दिया। जिन तीनों का नाम राजभवन भेजा गया उनमें से दो अभ्यर्थी तो विज्ञापन में अंकित सेवा शर्तों को ही पूरा नहीं करते। जो कि आचार्य पद पर 10 वर्ष के  प्रशासनिक अनुभव की अर्हता को भी पूरा नहीं करते हैं तो वहीं एक के खिलाफ साल 2016 में केन्द्रीय सतर्कता आयोग और 2020 में सीबीआई द्वारा वित्तीय अनियमितता की जांच चल रही है और वहीं दूसरी तरफ जो पैनल बनाया गया उसके चयन प्रक्रिया को लेकर भी दो अलग अलग मापदंड तय किया जाना कहाँ तक पारदर्शी है यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन के सदस्य वर्चुअल मोड पर अपनी उपस्थिति दर्ज करवाते हैं आखिर ऐसा दोहरा रवैया कहां तक सही है। जुगरान ने पत्र में दोनों तौर तरीकों के मिश्रण को असंवैधानिक करार देते हुए उस पर सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा उपस्थिति दर्ज कराने का कोई एक ही माध्यम होना चाहिए था। वे कहते हैं कि उच्च शिक्षा विभाग न जाने क्यों बार बार अपनी किरकिरी करवा रहा है विभाग ऐसे निर्णय लेता है जिसे उच्च न्यायालय में चुनौती दी जाती है जो कि न तो सरकार के लिए ही फायदे मंद है और राजभवन के क्रियाकलापों पर तो सवाल खड़े करती ही है। बेहत्तर होगा कि राजभवन इस बात का संज्ञान लेकर 20 वर्षीय राज्य में भ्रष्टाचार की जड़ों को पनपने से पहले ही उसका पारदर्शी तरीके से निदान करे ताकि आने वाली पीढ़ी पारदर्शी व्यवस्था का हिस्सा बन सके और उनमें अपनी योग्यता के पैमाने को आंकलन का एक मौका मिल सके। उत्तराखंड बेशक एक छोटा पहाड़ी प्रदेश है लेकिन यहाँ प्रतिभावों की कमी नहीं है जिस दिन यहां भाई-भतीजावाद खत्म हो जाएगा समझो प्रदेश एक नई इबारत लिखने का काम करेगा। अब सरकार अपने वरिष्ठ नेता की बातों पर कितना कान धरती है।