देहरादून। उक्रांद ने 2020 में दल की विचारधारा से जुड़े नए साथियों को ससम्मान नियत स्थान देने की कोशिश की है 2022 के विधानसभा चुनावों के दृष्टिगत दल ने रक्षा मोर्चा से उक्रांद में विलय होने पर पूर्व आईएएस एस एस पांगती को हरिद्वार का प्रभारी तो पीसी थपलियाल को दल का मुख्य प्रवक्ता बनाया है। वहीं भाजपा से आए संजय बहुगुणा को केंद्रीय संगठन मंत्री बनाकर उनको भी संगठन में तरजीह दी है अब संगठन ने तो नए साथियों के कद में इजाफा कर मान मनोबल बढ़ाने का काम कर दिया है पर नए साथी केंद्रीय अध्यक्ष की उम्मीदों पर कितना खरे उतरते हैं ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा मगर इतना जरुर है उत्तराखंडियत को अगर बचाना है तो क्षेत्रीय दल को तरजीह देकर इन नए साथियों की प्राथमिकता के साथ धरातल पर भी काम करना होगा। क्योंकि राष्ट्रीय पार्टियों को टक्कर देना आसान काम नहीं हैै उनकी कार्यप्रणाली अलग होती है जो कि एक काॅडर वोट बैंक का काम करती है। उसमें सेंध लगाना हरेेक के बस की बात नहीं है हां इतना जरुर हैै उससे उकता कर क्षेत्रीयता को तरजीह देने वाले कार्यकर्ता शायद उस तौर तरीके से अच्छे से वाकिब होता है वह उसके कौशल पर निर्भर करता है कि वह अपनी बात को आम जनमानस के पटल पर कैसे प्रस्तुत करता है। अब क्षेत्रीयता की दुहाई देने वाले राजनीति में कब और कितना उबाल लाते है ये तो आगामी विधानसभा चुनावों में उक्रांद की कार्यशैली पर ही काफी कुछ निर्भर करेगा। क्योंकि जो काम धरातल पर होंगे उसी के नाम पर विश्वास हासिल किया जाता है मगर यहां तो दो सरकारों में शामिल होने के बावजूद भी तक किए कार्यों का उक्रांद ने शायद ही कहीं पर जिक्र किया हो। जिस गैरसैैंण पर आज दोनों ही राष्ट्रीय पार्टियां श्रेय लेना नहीं भूलती वह भी उक्रांद की ही देन है लेकिन उक्रांद दो सरकारों का साक्षी मात्र रह गया मगर गैरसैंण पर गैर ही रहा अब देखना दिलचस्प होगा कि 2022 उक्रांद के नये जोशीले साथियों की आमद से कैसे गुलजार होता है?
दिवाकर भट्ट ने किया नए उक्रांदियों का सम्मान