आम आदमी पार्टी ही राजनीतिक विकल्प: डॉ0 राकेश काला

देहरादून।, उत्तराखंड में आगामी विधानसभा चुनावोंं केे मद्देनजर आम आदमी पार्टी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। उन्होंने कहा अगर सत्ताधारी पार्टी का कोई विकल्प है तो वह आप ही हैै। कांग्रेस तो डूबता हुआ जहाज उसे कोई और नहीं बल्कि कांग्रेस के ही लोग ही डुबाने में लगे हुए हैं । भला डूबते हुए जहाज में कौन बैठना चाहेगा। आम जन का रुझान विकल्प के तौर पर आम आदमी की ओर है। हरेक रोज आप में नौजवानों की टीम खड़ी हो रही है 


आप प्रवक्ता डॉक्टर राकेश काला का कहना है कि 2022 के विधानसभा चुनावों में अगर भाजपा से किसी पार्टी का सीधा मुकाबला है तो वह आप ही है। कांग्रेस कहीं पर भी विकल्प नहीं है। 


आप प्रवक्ता डॉक्टर राकेश काला कहते हैं कि जो कल तक भाजपा का राजनीतिक विकल्प कांग्रेस को चुनते थे आज वे अपनी ही पार्टी की कार्य शैली से उकता कर आम आदमी का दामन थाम रहे हैं। क्योंकि विकास के लिए सबसे पहले अपना दृष्टिकोण बदलना पड़ता है जिसका जीता जागता उदाहरण दिल्ली में अरविंद केजरीवाल के रुप में है। उनके पार्टी संयोजक एवं मुख्यमंत्रित्व काल में दिल्ली की शिक्षा व्यवस्था ढर्रे पर आ गई है। मोहल्लों मेें मोहल्ला क्लीनिक खोल कर आमजन को लाभान्वित करने का काम किया है। जब दिल्ली में फ्री बिजली-पानी दिया जा सकता है तो उत्तराखण्ड में क्यों नहीं यहाँ तो प्रकृति प्रदत्त संसाधनों की अपार खान है। ऐसा सिर्फ और सिर्फ आम आदमी पार्टी  ही सोच सकती हैै बेशक  कांंग्रेस नेता आज आम आदमी पार्टी की बातों का क्यों न अनुसरण कर जनता से चुनावी वायदे करें मगर जनता अब सब जान चुकी है जिस तरह से प्रदेश में जनता आप को हाथों हाथ ले रही है उससे प्रतीत होता है कि जनता 2022 के विधानसभा चुनाव की तैयारी में आम आदमी पार्टी के लिए मन बना चुकी है और अगर भाजपा किसी को अपना प्रतिद्वंद्वी मान रही है तो वह आम आदमी पार्टी ही है जिसके साथ 2022 का सीधा मुकाबला होने जा रहा है। कांग्रेस जिस हिसाब से विपक्ष होते हुए मित्र धर्म का निर्वहन कर रही है उससे वे अगर खुुद को विकल्प के तौर पर देख रहे हों तो शायद ये उनकी सबसे बड़ी भूल होगी। जनता कांग्रेस को नकार चुकी है और रही सही कसर इनके वरिष्ठ नेताओं के खुद को साबित करने वाली आपसी कलह इन्हें ले डूबी है। कांग्रेस में नेतृत्व का संकट है कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को बेशक पार्टी हाईकमान ने बड़ा नेता बना दिया हो लेकिन उत्तराखंड में धड़ो में बंटे नेता उन्हें नेता मानने के बजाय अपने अपने धड़ों में बंटे पड़े हैं। वे उनकी लकीर पर चलने के बजाय अपनी लकीर खींचने में ज्यादा विश्वास कर रहे हैं। इनके पास प्रदेशवासियों के लिए सिवाय आपस की लड़ाई के न तो कोई विकल्प है और ना ही कोई मुद्दा बचा है। जो पार्टी कई धड़ों में बंटी हो जनता और राज्य के विकास से जिनकाा कोई सरोकार न हो तब आम जन के पास एक ही विकल्प बचता है वह है आम आदमी पार्टी के जिसके बढ़ते जनाधार से तय हो गया कि आगामी विधानसभा चुनाव भाजपा बनाम आम आदमी पार्टी में ही होने वाला है । 


कांग्रेसियों की अंदरूनी कलह और आपसी मनमुटाव ने उन्हें रसातल तक पहुंचाने का काम किया है। उत्तराखंड कांग्रेस में इनके वरिष्ठ नेताओं के बीच चल रही नूराकुश्ती किसी सेे छिपी नहीं हैै। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के बीच पिछले चुनावी हार को लेकर जो बयान बाजी हो रही है वो अपने आप में हास्यास्पद है। कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह थराली उपचुनाव में कांग्रेस की हार ठीकरा हरीश रावत के सिर फोड़ रहे हैंं तो पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत जिस तरह से प्रीतम सिंह के तंज पर नाराजगी के साथ सभी 60 विधानसभा सीटों पर हार की जिम्मेदारी एक बार फिर ले रहे हैं। ये पब्लिक है, सब जानती हैै। सोशल मीडिया पर इनके धड़ों के समर्थक भी कैसे एक दूसरे से उलझते हैंं।  वह किसी से छिपा नहीं है। इनकी आपसी कलह ही इनके पतन का कारण बन गया है। जिस विपक्ष का काम सत्ता की नाकामियों को उजागर करनेे का है, वह पूरे चार साल मित्र विपक्ष की भूमिका निभाता रहा। आप प्रवक्ता डॉक्टर राकेश काला का कहना है जिस पार्टी के नेता आपसी कलह और राजनीतिक नूराकुश्ती में उलझे हों भला उनसे प्रदेश किस तरह के विकास अपेक्षा रखेगा। जिनसे अपना घर नहीं संभल रहा हो वह क्या प्रदेश को संभालेंगे? आम आदमी पार्टी आमजन मानस के पटल पर इस बात को बिठाने के लिए प्रयत्नरत है। जो कि इसी रणनीति के तहत 2022 में सभी 70 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने जा रही है जिसे लेकर कांग्रेस सकते में है। कांग्रेस के नेता अब इस राजनीतिक पैंतरे से हताशा और निराशा को दिखाता है। क्योंकि वे अंदरुनी लड़ाई में इस कदर उलझे पड़े हैं कि आम जन के लिए सोचना तो दूर की कौड़ी है।