पेशे से पहाड़ और पहाड़ियत को जिंदा रखे हुए हैं डॉ0 जोशी

देहरादून।  एक ऐसी शक्सियत जिसने कोविड-19 जैसी विषम परिस्थितियों में भी अपनी और अपनों की परवाह किए बिना जनता की सेवा-भाव के लिए दिन-रात समर्पित होकर काम किया है। 


"जन-जागरुकता से हो जिसकी पहचान,


लोकप्रियता का एक जाना पहचाना नाम।


वैसे इनका नाम शायद ही किसी पहचान का मोहताज हो। ऐसे व्यक्तित्व के धनी डॉ0 शंकर दत्त जोशी हैं। जिन्हें दून चिकित्सालय में लोग ढूंढते हुए इन तक पहुंचने के लिए कभी लंबी कतार में प्रतीक्षारत रहते थे। इन्होंने हर विषम परिस्थितियों का सामना कर अपने हुनर (पेशे) से 1991की (भूकंप जैसी) त्रासदी में भी उत्तरकाशी जैसे सीमान्त पहाड़ी जनपद के जिला चिकित्सालय में बतौर फिजीशियन सेवाएं देकर लाखों लोगों को लाभान्वित किया है। वह ऐसा दौर था तब पहाड़ों में इतनी सुविधाएं नहीं होती थी और तब राजकीय सेवा में सेवारत हरेक व्यक्ति पहाड़ में सेवा देने के बजाय मैदान में सेवा देने को ही प्राथमिकता देता था। उस दौर में बतौर कंसल्टेंट फिजीशियन अक्टूबर सन 1990 में इन्होंने अपनी सेवाएं जिला चिकित्सालय उत्तरकाशी से शुरु की। उसके कुछ महीनों उपरांत दैवीय आपदा ने जिले को तोड़कर रख दिया लेकिन डॉ0 जोशी ने उन विकट


       "दिशा दिखाने वाला सही मिल जाए तो,


        दिये का प्रकाश भी, सूर्य का काम करता है" 


कुछ ऐसे ही अपने पेशे से अपने मरीजों को निरोगी बनाने के लिए डॉ0 जोशी लगातार अपने बेशकीमती समय में से समय निकाल कर विभिन्न स्थानों पर निःशुल्क स्वास्थ्य कैंप लगाकर पहाड़ियत को जिंदा रखें हुए हैं। पहले राजकीय सेवा में रहते लोगों को बेहतरीन स्वास्थ्य सेवा देकर आमजन का उपचार कर लाभान्वित किया तो अब सेवानिवृत्त उपरांत घर से ही जन सेवा से जन जागरूकता के साथ लगातार समाज के बीच बने हुए हैं। 


4से 6 साल का अनुभव असिस्टेंट प्रोफेसर दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय देहरादून (2016-2020) 


12 सालों का अनुभव राजकीय दून चिकित्सालय देहरादून (2008-2020)


30 साल का अनुभव कंसल्टिंग फिजिशियन उ0प्र0/उत्तराखंड (1990-2020)


1991 में उत्तरकाशी भूकम्प में उत्कृष्ट स्वास्थ्य सेवाएं देने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा सम्मानित किए गए। 


साल 2017 में डाॅ0 डे पर उत्कृष्ट स्वास्थ्य सेवाएं देने के लिए उत्तराखंड सरकार द्वारा सम्मानित किए जा चुके हैं। 


विभिन्न न्यूज चैनलों/समाचारपत्रों एवं सामाजिक संस्थाओं द्वारा उत्कृष्ट स्वास्थ्य सेवाओं के लिए समय समय पर सम्मानित किए जा चुके हैं। 


पेशे से आजीवन सदस्य- API, IMA, ISCCM, CSI & ACP-USA


परिस्थितियों में अपने पेशे का परिचय भगवान बन वहां के आम-जनमानस को चिकित्सा स्वास्थ्य के क्षेत्र में बतौर फिजिशियन उत्कृष्ट स्वास्थ्य सेवाएं देकर दिया। उनकी उस दौर में दी गई उत्कृष्ट सेवाओं का नतीजा है कि आज भी उनकी स्वास्थ्य सेवाओं से लाभान्वित हुआ हरेक शक्स उन्हें ढूंढता हुआ देहरादून तक आ पहुंचता है। मानो उनके हाथों वाकई कोई चमत्कार हो। वे जिस सहजता से अपने मरीज से पेश आते हैं उससे आधा रोग तो मनोवैज्ञानिक रुप से वैसे ही ठीक हो जाता है। आज के व्यवसायिक दौर में भी उन्होंने पेशे को व्यवसाय का रुप न देकर मरीज को उपचार की प्राथमिकता दी है। प्रदेश के विभिन्न स्थानों खासकर पहाड़ के मरीजों के तो वे भगवान हैं और उनका तजुर्बा ही कहेंगे कि बेशक वे आज सेवानिवृत्त हो चुके हों लेकिन उन्होंने सदैव दुर्गम पहाड़ी क्षेत्रों से आए मरीजों को ही सदैव उपचार में प्राथमिकता दी है। क्योंकि उन्हें इस बात का आभास है कि पहाड़ का जीवन कैसे जिया जाता है। ये उन्हें उनकी पहाड़ में दी गई सेवाओं से मालूमात हुआ है। डाॅ0 जोशी 30 जून को राजकीय दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय देहरादून से सेवानिवृत्त हुए। डॉ0 जोशी ने 300 बैड वाले राजकीय दून चिकित्सालय को 12 साल की स्वास्थ्य सेवाएं दी। उनके द्वारा दी जाने वाली स्वास्थ्य सेवाओं के लिए वे आज भी खासे याद किए जाते हैं। हालांकि अब वे अपने बद्रीपुर निवास से कंसल्टेंट फिजिशियन के रुप में लोगों को अपनी स्वास्थ्य सेवाएं देकर लाभान्वित कर रहे हैं। कई लोगों को तो वे मानवता के आधार पर अपनी सेवाएं समय समय पर देते आएं हैं। गरीब-गुर्बों के वे मसीहा हैं। उनसे वे शायद ही कभी कंसल्टेंट चार्ज लेते हों। उनका उपचार करने का अपना एक अलग अंदाज है। उत्तरकाशी सेवा उपरांत उन्होंने श्रीनगर गढ़वाल में राजकीय सेवाएं दी वहां के लोग भी इनकी स्वास्थ्य सेवाओं के आज भी मुरीद हैं। यहाँ से भी इनका स्थानांतरण जनपद देहरादून के कोरोनेशन चिकित्सालय जिसका नाम अब पं0 दीन दयाल हो गया है, में हुआ। इनके लंबे चिकित्सकीय अनुभवों को देखते हुए साल 2008 से इनका स्थानांतरण राजकीय दून चिकित्सालय देहरादून में हुआ जो समूचे प्रदेश में तब राजकीय स्वास्थ्य सेवाओं में एकमात्र महत्वपूर्ण चिकित्सालय होता था जो साल 2016 से हायर सेंटर, राजकीय दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय में तब्दील हो गया है। डॉ0 जोशी का अनुभव साल 1991 में जिला उत्तरकाशी में आए भूकम्प ड्यूटी में तैनाती रही। साल 1999 में जनपद चमोली भूकम्प में तैनाती रही। केदारनाथ आपदा उपरांत तीन सालों तक हरेक वर्ष 15 दिनों के लिए केदारनाथ और गुप्तकाशी में सेवाएं दी। 4 साल 6 माह राजकीय दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय, देहरादून बकौल असिस्टेंट प्रोफेसर सेवाएं दी। इसके अलावा पौड़ी जिला अस्पताल और रुद्रप्रयाग जिला अस्पताल में भी जाकर समय समय पर और कई जगह निःशुल्क कैम्प लगा कर भी अपनी सेवाएँ दी है ।