जोर का झटका धीरे से

देहरादून: उत्तराखंड भाजपा से बड़ी खबर सामने आई है। राज्यसभा की एक सीट के लिए भाजपा ने पांच दावेदारों के नाम पार्टी हाईकमान को भेज दिए थे। जिसकी जानकारी भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत ने दी थी। प्रदेश अध्यक्ष द्वारा साझा की गई जानकारी अनुसार मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, प्रदेश संगठन महामंत्री अजेय कुमार और कई सांसदों की रायशुमारी के बाद 5 नाम तय किए गए थे। पांचों दावेदारों के नाम हाईकमान को भेजें गए।  इनमें से संघ पृष्ठ भूमि पर ही मुहर लगनी तय थी। वही हुआ भी प्रदेश भाजपा ने अपनी सारी बलाएं राष्ट्रीय नेतृत्व के सिर मंढ दी। हालांकि भाजपा ने जो पांच नाम भेजे थे उनमें राष्ट्रीय कार्यालय प्रभारी महेंद्र पांडेय, पूर्व सीएम विजय बहुगुणा, पूर्व सांसद बलराज पासी, प्रदेश उपाध्यक्ष अनिल गोयल और राज्यमंत्री नरेश बंसल का


आखिर कार नरेश बंसल के घोषित हुए राज्यसभा प्रत्याशी


नाम राज्यसभा के उम्मीदवारों के लिए भेजी सूची में था। लंबी जद्दोजहद के बाद पार्टी हाईकमान ने नरेश बंसल के नाम पर मुहर लगाई। अब भाजपा अपने कुनबे में इजाफा किए इन नौ नेताओं के नेतृत्व के साथ शामिल हुए विजय बहुगुणा को कैसे संतुष्ट कर पाती है ये देखना बाकि है क्योंकि वे जिस उम्मीद से भाजपा में आए व्यक्तिगत लिहाज से शायद ही उनकी हसरतें पूरी हो पाई हो। हां इतना जरुर है कि सरकार बेशक प्रदेश में भाजपा की हो लेकिन तरजीह कांग्रेस से भाजपा में आए विधायकों को ही दी है जिसमें बहुगुणा खेमे के दो मंत्री है। डाॅ0 हरक सिंह रावत, सुबोध उनियाल, तो वहीं कांग्रेस खेमे से भाजपा में आए कुल पांच को त्रिवेन्द्र सिंह रावत कैबिनेट के नौ सदस्यीय मंत्रिमंडल में तरजीह मिली है जिनमें तीन सतपाल महाराज, यशपाल आर्य, रेखा आर्य भी शामिल हैं। बहुगुणा भाजपा में आने का गुणा-भाग अभी तक तो रंग लाते नहीं दिखाई देता अब लगता है बहुगुणा कैंप का कुनबाई समीकरण भी 2022 के लिहाज से भाजपा के बजाय पास होने के दूर होते दिखाई देता है। बहुगुणा अपना गुणा-भाग तो सही नहीं कर पाए मगर अपने दो बेटों को नए समीकरणों में कहीं न कहीं एडजस्ट कर ही देंगे जिनमें एक बेटा हालिया विधायक है तो दूसरा कांग्रेस के टिकट पर दो बार टिहरी लोकसभा की परीक्षा में अनुत्तीर्ण हुआ है उसी को उत्तीर्ण करवाने की जद्दोजहद चल रही है अब उनका मुख्य मकसद तो कहीं से भी सधता नहीं दिखाई देता अब उनकी आगामी रणनीति क्या गुल खिलाती है कुछ कह नहीं सकते हालांकि उनकी इस बात को डाॅ0 हरक सिंह रावत के 2022 में चुनाव न लड़ने की बात से जोड़ा जाए तो संदेश साफ है कि 2022 में भाजपा के लिए सीट निकालना आसान नहीं है। अब भविष्य का ऊंट किस करवट लेता है कुछ कह नहीं सकते मगर जैसा उथल पुथल चल रहा है उससे तो रुझान अभी से मिलने शुरु हो गए हैं । बहुगुणा कैंप की ओर से पूर्व सीएम विजय बहुगुणा राज्यसभा के लिए प्रबल दावेदारों में शामिल थे। साल 2016 में चुुनावों से काफी पहले उन्होंने राजनीति के कद्दावर नेता हरीश रावत को जिस कम अनुभव में राजनीति का पाठ सिखाया और जिस उम्मीद से अधूरा सिलेबस छोड़ नई  पाठशाला में कुछ नया करने/सीखने के उद्देश्य से शामिल हुए जरुर थे मगर सारे के सारे अरमान अधूरे रह गए। तब वे जिस हनक के साथ 9 विधायकों का आंकड़ा लेकर भाजपा में शामिल हुए थे। वे सब भी अब खुद को कार्यों में बाधा पड़ने से कुछ खास खुश नजर नहीं दिखाई देते इनमें से कइयों ने तो प्रदेेश नेतृत्व से लेकर राष्ट्रीय नेतृत्व तक अपनी नाखुशी का इजहार कर चुुके हैं। राज्यसभा के लिए नरेश बंसल के प्रत्याशी घोषित होते ही बहुगुणा कैंप असहज महसूस होना लाजिमी है अगर 2022 के लिहाज से उनको भाजपा में देखे तो कुछ खास संकेत नहीं है। बहुगुणा कैंप के लिए भाजपा में शामिल होकर शायद ही इससे बड़ा कोई झटका हो। क्योंकि दो साल में यह दूसरा मौका हैं जब राज्यसभा जाने का मौका बहुगुणा के हाथ से निकल गया। जबकि राज्यसभा का टिकट पाने के लिए विजय बहुगुणा ने ऐड़ी चोटी का जोर लगा रखा था। डॉ0 हरक रावत ने जो दांव खेला था उसने भी उनके मंसूूबों को पलीता लगाया। अब बहुुगुणा कैंप मंसूबों पर पलीता लगते चुप बैठने वालों में तो नहीं हैं। वे नए गुणा भाग से राजनीति को कब नई दिशा देते हैं ये देखना बाकि है।