देहरादून।, ’’दून एनिमल वेलफेयर संस्था" जिस उत्साह से आगामी दिवाली के मद्देनजर गाय के गोबर से त्यौहार की महत्ता बढ़ाने जा रही है उम्मीद है कि जन जागृति के लिहाज से संस्था द्वारा समाज में किए गए इस नए अनुप्रयोग को सराहने का काम करेगा। संस्था के फाउंडर आशु अरोड़ा एवं मिली कौर अरोड़ा ने बेसहारा, लाचार, बेजुबानों पर हो रहे अत्याचार की रोकथाम और उनके त्वरित उपचार के जिस उद्देश्य से संस्था बनाई थी। उनकी सोच से उत्साह जनक परिणाम आज देखने को मिल रहेंं हैं। संस्था ने इस दीपावली पर बेसहारा, लावारिस गौवंश की सेवा से ही कुछ चमत्कारिक परिणाम निकाले हैं। वह है उनके गोबर से न सिर्फ सजावटी सामग्री बल्कि अगर बत्ती, धूूप बत्ती, लक्ष्मी जी के सिक्के, लक्ष्मी माँ की मूर्ति, गणेश जी की मूर्ति , लक्ष्मी जी के चरण पादुका, लटकन एवं सजावट की कई साजो सामग्री बाजार में उपलब्ध कराने जा रहें है। इनका इस्तेमाल घर/आफिस की शोभा तो बढ़ाएगी साथ ही वातावरण को शुद्ध करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। उनके इस नए अनुप्रयोग को जागरूक समाज को भी बढ़ावा देना अहम भूमिका निभानी होगी। ये एक संदेश कहो या प्रेरणा उन लोगों के लिए जो लोग गाय की उपयोगिता को सिर्फ और सिर्फ दूध तक समझते हों उसके मूत्र/गोबर तक का हमारे पूजा पद्धति/संस्कारों में महत्व है तो इसलिए समाज को भी अब जागरूक होने की जरुरत है बेजुबानों खासकर गौमाता को तो बेवजह लावारिस सड़कों पर मरने के लिए कतई न छोड़ें। उसकी महत्ता का भरपूर लाभ उठाएं और आत्मनिर्भर भारत की दिशा में इस दिवाली इन अनमोल गिफ्टों की खरीद-दारी कर उन लोगों का मनोबल बढ़ाएंं जो इन पर अपना बेशकीमती समय देकर बाजार तक पहुंचा रहें हैंं। भला गाय से शुद्ध क्या हो सकता है। गोबर से निर्मित समान खरीदने के इच्छुक व्यक्ति संस्था के इस नंबर पर संपर्क कर सकते है। जिनका 7906126965 है। गोबर अधारित योजना के बारे मे किसी भी प्रकार की हिंसा से पीड़ित, महिलाओं को पारिवारिक सहायता नहीं मिलती है तो जीवन यापन करने के सभी रास्ते बंद हो जाते है एवं ऐसी कठिन परिस्थितियों के लिए परिवार एवं समाज में पुर्नस्थापित करने हेतु विशेष सहयोग की आवश्यकता होती है । यदि किसी भी पीड़ित महिला की आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए कौशल उन्नयन प्रशिक्षण कार्यक्रम से जोड़ दिया जाए तो वह स्वयं के साथ-साथ अपने परिवार का भी भरण पोषण कर सकती है। इस उद्देश्य से ’’दून एनिमल वेलफेयर संस्था" ने महिला सशक्तिकरण एवं लोकल को बढ़ावा देने के लिए ये योजना प्रारंभ की गई है।
संस्था का उद्देशय:-
- आपात स्थिति में महिलाओं की सहायता करना।
- अशिक्षित महिलाओं को घर बैठे रोजगार देना।
- महिलाओं को स्व-रोजगार के लिये प्रेरित करना।
- महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना।महिला का सामाजिक, आर्थिक एवं शैक्षिणिक स्तर बढाना। अभाव ग्रस्त/पीड़ित/असहाय/निराश्रित महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाते हुए समाज की मुख्य धारा में पुर्नस्थापित करना।
लक्ष्य समूह :-
- पीड़ित महिला या बालिका ।व्य
- बाहरर से बचाई गई महिलाएं जो गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करती हो।
- ऐसिड विक्टिम
- परित्यकता/तलाकशुदा महिलाएं जो गरीबी रेखा के नीचे जीवनयापन करती हो।
- शासकीय एवं अशासकीय आश्रय गृह, बालिका गृह, अनुरक्षण गृह आदि गृहों में निवासरत विपत्तिग्रस्त बालिका/महिलायें
प्रशिक्षण के विषय :-
♦ पंचगव्य आधरित ,गोमय आधरित
जैसे गोबर के दिए ,मूर्तियाँ ,लटकन ,घड़ियाँ ,धूप ,अगर बत्ती एवं अन्य समान।
अंत में ’’दून एनिमल वेलफेयर संस्था" ने आमजन से अपील की है कि समाज के हर क्षेत्र को बढ़ावा देने में जिस तरह से समाजिक समरसता की अहम भूमिका होती है ठीक उसी तरह अगर इस कार्य को सामाजिक उत्थान की दिशा में देखा जाए तो गोमय उत्पाद ग्रामीण उत्थान यानी आत्मनिर्भर भारत की एक पहचान है और गौमाता का आशीर्वाद रहा तो वे स्वयं के दाने का खर्च तो उठाएंगी ही समाज से बढ़ती बेरोजगारी पर लगाम लगा स्व रोजगार की दिशा में नए अवसर प्रदान करेंगी साथ ही देश-दुनिया में गाय की महत्ता तो बढेगी ही। सामाजिक जनसरोकारों से वास्तकी रखने वाली इस संस्था की इस नायाब पहल का स्वागत कर उनका मनोबल बढ़ाएं और निकट भविष्य में प्रेरणा लेने की आवश्यकता है।