देहरादून।, हमारे विशेष संवाददाता द्वारा प्राप्त जानकारी अनुसार भारतीय स्टेट बैंक स्टाफ एसोसिएशन दिल्ली वृत्त(बैंक यूनियन) के त्रैवार्षिक चुनाव की घोषणा फरवरी 2020 को मुख्य सचिव, एस0 बी0 आई0 एस0 ए0 द्वारा घोषित किए गए थे। जो यूनियन द्वारा अधिकृत चुनाव समिति द्वारा मार्च 2020 में किए जाने निर्धारित हुए थे। चुनाव की प्रक्रिया आरंभ भी हो चुकी थी। मार्च माह की 21 व 22 को यूनियन के विभिन्न पदों के लिए नामिनेशन प्रक्रिया पूरी कर ली गई थी।
25 मार्च 2020 को देहरादून माड्यूल के उन सदस्यों के द्वारा जो स्वयं इस चुनाव की उम्मीद्वारी रखते थे उन्होंने चुनाव समिति के समक्ष अपनी आपत्ति दर्ज कराई। इन सदस्यों की आपत्ति थी कि चूंकि 21व 22 मार्च 2020 को नामिनेशन के लिए दिल्ली तक पहुंचना असंभव था। क्योंकि दिल्ली सरकार द्वारा कोविड-19 की गंभीरता को देखते हुए दिशा-निर्देश जारी किए जा चुके थे जिसमें सामाजिक धार्मिक व राजनैतिक क्रिया-कलापों पर 19 मार्च 2020 को रोक लगा दी गई थी। 21 मार्च 2020 को दिल्ली सरकार के प्रतिबंध के कारण व 22 मार्च 2020 को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषित जनता कर्फ्यू के कारण दिल्ली वृत्त के दूरस्थ माड्यूल जैसे हल्द्वानी, आगरा, नोएडा व देहरादून के उम्मीदवार अपने नामिनेशन कराने के अधिकार से वंचित रह गए थे व दिल्ली माड्यूल के पदाधिकारियों द्वारा इस स्थिति का लाभ उठा कर सभी पदों पर एक तरफा अपने चहेते उम्मीदवारों के नामिनेशन विधि विरुद्ध करवाकर अंतिम सूची जारी कर दी।
भारतीय स्टेट बैंक स्टाॅफ एसोसिएशन दिल्ली वृत्त के त्रैवार्षिक चुनाव - 2020, तकनीकी और वैधानिक अनियमितताओं की भेंट चढ़ा।
जबकि 19 अप्रैल 2020 को सर्कल जनरल काउंसिल दिल्ली वृत्त के डेलीगेट सेशन में उक्त सूची को निर्विरोध विजयी घोषित किया जाना था किंतु कोरोना वायरस महामारी के चलते मुख्य चुनाव अधिकारी द्वारा उक्त जनरल काउंसिल मीटिंग को अगले आदेश तक के लिए स्थगित कर दिया गया। सर्कल जनरल काउंसिल की अगली तारीख 10 सितंबर 2020 तक भी घोषित नहीं की गई।
इस बीच देहरादून माड्यूल से उप महासचिव के उम्मीदवार मुकेश भट्ट द्वारा माननीय उच्च न्यायालय नैनीताल में एक याचिका दायर कर निर्विरोध चुने गए उम्मीदवारों की उक्त सूची को विधि विरुद्ध घोषित किए जाने की प्रार्थना की गई। माननीय उच्च न्यायालय में अगली सुनवाई 5 अक्टूबर 2020 को होनी सुनिश्चित हुई है।
स्मरण रहे कि माननीय उच्च न्यायालय, उत्तराखंड, नैनीताल में भारतीय स्टेट बैंक स्टाॅफ एसोसिएशन के इन्हीं पदाधिकारियों के विरुद्ध यूनियन के जनरल फंड में हेराफेरी कर उस वक्त के महासचिव भगवती प्रसाद मंमगाई को 6.67 लाख रुपए गबन करने के संबंध में भी एक याचिका सुनवाई के लिए लंबित है। उक्त याचिका पूर्व उप महासचिव एसबीआई एस ए देहरादून माड्यूल के एसपी जुयाल द्वारा की गई थी। याचिका में प्रार्थना की गई थी कि माननीय उच्च न्यायालय एसबीआई एस ए दिल्ली वृत्त की कार्यकारिणी को भंग कर उक्त पदाधिकारियों को भविष्य में यूनियन का कोई भी चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य घोषित किया जाए।
भारतीय स्टेट बैंक एसोसिएशन दिल्ली वृत्त के इससे पहले की कार्यकारिणी के लिए दिसंबर 2016 के प्रथम सप्ताह में चुनाव हुए थे और 11 दिसंबर 2016 को जनरल काउंसिल मीटिंग के डेलीगेट सेशन में चुनाव परिणाम घोषित कर 2016-19 के लिए कार्यकारिणी का गठन किया गया था। भारतीय ट्रेड यूनियन एक्ट के प्रावधानों के अनुसार ट्रेड यूनियन की कार्यकारिणी का सामान्य कार्यकाल तीन वर्ष का होता है। इस प्रकार 11 दिसंबर 2016 को गठित कार्यकारिणी का कार्यकाल 10 दिसंबर 2016 को समाप्त हो गया। कार्यकारिणी को 6 माह का विस्तार मिला जो 10 जून 2020 को समाप्त हो गया। इसके पश्चात सेंट्रल एक्जीक्यूटिव कमेटी द्वारा कार्यकारिणी को 3 माह का अतिरिक्त विस्तार दिया गया। जो कि 10 सितंबर 2020 को समाप्त हो गया।
9 माह के अधिकत्तम विस्तार के पश्चात एस0 बी0 आई0 एस0 ए0 दिल्ली वृत्त की कार्यकारिणी के पास विधि सम्मत कोई विकल्प न होने के कारण स्वतः भंग मानी जाएगी। भारतीय ट्रेड यूनियन एक्ट व स्वयं भारतीय स्टेट बैंक एसोसिएशन के संविधान में 9 माह के अधिकत्तम विस्तार के समाप्त होने के पश्चात कोई भी कानूनी विकल्प उपलब्ध नहीं है। जिससे कि एस0 बी0 आई0 एस0 ए0 दिल्ली वृत्त की जनरल काउंसिल मीटिंग बुला कर चुनाव के परिणाम को घोषित किया जा सकें।
इस संदर्भ में जब भारतीय स्टेट बैंक स्टाॅफ एसोसिएशन के पूर्व उप महासचिव एसपी जुयाल से जानकारी ली तो उन्होंने बताया कि पूर्व में भी भारतीय स्टेट बैंक स्टाॅफ एसोसिएशन लखनऊ वृत्त की त्रैवार्षिक समय सीमा सन 1992 में समाप्त हो गई थी। तत्पश्चात 6 महीने व 3 महीने का विस्तार पाने के बाद भी जनरल काउंसिल की मीटिंग नहीं बुलाई जा सकी। 16 अक्टूबर 1994 को एस0बी0आई0 एस0ए0, लखनऊ सर्कल की जनरल काउंसिल मीटिंग बुलाई गई जिसमें कामरेड एमआर0 अवस्थी जनरल सेक्रेटरी चुने गए थे। मामला माननीय हाईकोर्ट इलाहबाद में सुनवाई के लिए गया और माननीय हाईकोर्ट ने व्यवस्था दी थी कि चूंकि कार्यकारिणी की त्रैवार्षिक समय सीमा सन 1992 में समाप्त हो गई थी। अतः 9 महीने का विस्तार पाने के बाद 16 अक्टूबर 1994 की बुलाई गई मीटिंग 9 महीने की अवधि के बहुत बाद बुलाई गई है। जो कि गैर कानूनी व विधि विरुद्ध है इस प्रकार एस0बी0आई0एस0ए0 लखनऊ सर्कल के द्वारा 16 अक्टूबर 1994 को गठित की गई कार्यकारिणी भंग कर दी गई थी।
याचिकाकर्ता मुकेश भट्ट द्वारा भारतीय स्टेट बैंक स्थानीय प्रधान कार्यालय से अनुरोध किया है कि बैंक द्वारा वैधानिक रुप से स्वतः भंग कार्यकारिणी की मान्यता रद्द घोषित कर उनके द्वारा संचालित यूनियन के खाते में उनके द्वारा संचालन पर अविलंब रोक लगा दी जाए।
चीफ सेक्रेटरी एस0बी0आई0 के द्वारा अभी तक 11 दिसंबर 2016 को गठित कार्यकारिणी को भंग घोषित नहीं किए जाने के कारण कार्य कारिणी के सदस्यों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है। 11 दिसंबर 2016 की गठित कार्यकारिणी 6 महीने व 3 महीने के विस्तार के पश्चात भी 10 सितंबर 2020 तक नहीं बुलाई गई है। अतः उक्त कार्यकारिणी का अब कोई वैधानिक अस्तित्व नहीं रह गया और नई कार्यकारिणी समय पर गठित नहीं की जा सकी है 25 मार्च 2020 को जारी उम्मीदवारों की सूची त्रैवार्षिक समय सीमा के भीतर सर्कल जनरल काउंसिल मीटिंग मे घोषित कर कार्यकारिणी का गठन 10 सितंबर 2020 तक नहीं किए जाने के फलस्वरूप स्वयं ही अपनी वैधानिक मान्यता खो चुकी है।