कृषि अध्यादेशों के पारित होते ही किसान हुए मुखर

नई दिल्ली।, कृषि क्षेत्र में दो बिलों का राज्यसभा में पारित होने पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह क्या कहते हैं 'देश में कृषि क्षेत्र के विकास के नाम पर अभूतपूर्व युग की शुरुआत है। उन्होंने ट्वीट कर कहा, कि रविवार को संसद में कृषि से जुड़े दो महत्वपूर्ण अध्यादेशों का पारित होना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का किसानों के समग्र विकास एवं कृषि क्षेत्र को मजबूत करने को लेकर उनके अटूट संकल्प को दर्शाता है। यह भारत के कृषि क्षेत्र में विकास के अभूतपूर्व युग की शुरुआत है। वे कहते हैं विपक्ष के लोग किसानों को गुमराह करने की कोशिश में लगे हुए हैं। दशकों तक किसानों के वोट की खेती कर अंधकार में धकेलने वाले एक बार फिर उन्हें कमजोर करने में तुले हैं। जब इस स्वर्णिम युग में किसानों के हित में कोई निर्णयात्मक फैसला होने जा रहा तो विपक्ष विरोध प्रकट कर फिर से उनसे हमदर्दी दिखाकर भड़काने व गुमराह करने को लगातार प्रयासरत हैं। अगर किसी ने किसानों के हित में सोचा है तो वह मोदी सरकार ही है। 


 शाह कहते हैं कि वे किसानों को विश्वास दिलाते हैं कि उनके हितों के लिए अगर कोई फिक्रमंद है तो सिर्फ और सिर्फ नरेंद्र मोदी हैं। मोदी सरकार ने तो कृषि सुधारात्मक पहल की ताकि कोई भी किसानों का हक न मार सके। बिचौलियों से उन्हें मुक्त कराने और उनकी उपज के सही दाम दिलवाकर उनकी आय बढ़ाने की दिशा में पारित अध्यादेश मील का पत्थर साबित होंगा। एमएसपी की व्यवस्था पहले जैसे बनी रहेगी साथ ही सरकारी खरीद भी जारी रहेगी।


वहीं हरियाणा के किसानों ने पारित अध्यादेश के खिलाफ नारेबाजी करते हुए सरकार को चेताया कि अगर अध्यादेश वापस नहीं लिया गए, तो आंदोलन और उग्र किया जाएगा। इसके अलावा किसानों ने 25 सितंबर को हरियाणा बंद रखने का भी ऐलान किया और  27 सितंबर को दिल्ली में महत्वपूर्ण बैठक करने की भी घोषणा की गई। वहीं राज्यसभा में पंजाब कांग्रेस से सांसद प्रताप सिंह बाजवा ने कहा कि उनकी पार्टी इस बिल का विरोध करती है। पंजाब और हरियाणा के किसानों का मानना ​​है कि ये बिल उनकी आत्मा पर हमला करने जैसा है। कांग्रेस किसान विरोधी इस बिल के खिलाफ 23 सितम्बर को मार्च निकालेगी। इन विधेयकों पर सहमति किसानों के डेथ वारंट पर हस्ताक्षर करने जैसा होगा। किसान एपीएमसी और एमएसपी में बदलाव के खिलाफ हैं। वहीं शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष ने कहा कि इन विधेयकों का पंजाब के 20 लाख किसानों और कृषि क्षेत्र के 15-20 लाख मजदूरों पर प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने कहा कि पंजाब में लगातार सरकारों ने कृषि आधारभूत ढांचा तैयार करने के लिये कठिन काम किया लेकिन यह अध्यादेश उनकी 50 साल की तपस्या को बर्बाद कर देगा। कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्द्धन और सुविधा) विधेयक-2020 और कृषक (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन समझौता और कृषि सेवा पर करार विधेयक -2020 पर चर्चा में भाग लेते हुए सुखबीर बादल ने कहा, ‘‘शिरोमणि अकाली दल किसानों की पार्टी है और वह कृषि संबंधी इन विधेयकों का विरोध करती है.’’ विधेयक का पुरजोर विरोध करते हुए उन्होंने कहा कि पंजाब के किसानों ने अन्न के मामले में देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिये महत्वपूर्ण योगदान दिया है। शिरोमणी अकाली दल की तरफ से मोदी कैबिनेट में  खाद्य प्रसंस्करण एवं उद्योग मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया है। हरसिमरत कौर ने संसद में पेश किये गये कृषि से संबंधित दो विधेयकों के विरोध में गुरुवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया। कौर ने लिखा कि- मैंने किसान विरोधी अध्यादेश और कानून के विरोध में केंद्रीय कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया है। मुझे गर्व है कि मैं किसानों के साथ उनकी बेटी और बहन की तरह खड़ी हूं। " 


केंद्रीय कृषि मंत्री तोमर ने कहा कि किसानों को अपनी फसल एक जगह से दूसरी जगह ले जाने पर मनचाही कीमत पर बेचने की आजादी मिलेगी। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इन बिलों को लेकर कई तरह की गलत धारणाएं बनाई गई हैं। यह बिल एमएसपी से संबंधित नहीं है। प्रधानमंत्री ने भी कहा है कि एमएसपी जारी है और आगे भी जारी रहेगी। इन अध्यादेशों के माध्यम से किसानों के जीवन में बदलाव  देखने को मिलेगा।