दीया, टाॅर्च और मोमबत्तियों से 9 सितंबर 9 बजकर 9 मिनट तक बेरोजगारों की हुंकार

देहरादून।  प्रदेश के बीपीएड प्रशिक्षितों ने वैश्विक महामारी कोरोना की गंभीरता को देखते हुए सरकार के नियमों का पालन करते हुए घर में रहकर सोशल मीडिया के सहारे अपनी मांगे सरकार तक पहुंचाने की कोशिश में ऑनलाइन आंदोलन जारी रखा है। जिसका आज 115 वां दिन हैं। उत्तराखण्ड बीपीएड प्रशिक्षित संगठन कोरोना महामारी में भी अपने हकों की संवैधानिक लड़ाई लड़ रहे हैं। वे घर पर रहते हुए सोशल मीडिया यानी ऑनलाइन के माध्यम से सरकार तक अपनी बात पहुंचाने में लगे हुए हैं। सरकार की लगातार अनदेखी से आहत होकर उन्होंने निर्णय लिया कि आंदोलन को वे जारी रखेंगे। अब वे घर पर रहकर ही शांति प्रिय अंदाज में मे चला रहे हैं। उनके इस आंदोलन को पूरे प्रदेश के बीपीएड प्रशिक्षित बेरोजगारों ने अपना समर्थन दिया है। वहीं आम आदमी पार्टी के प्रदेश मीडिया प्रभारी डॉ0 राकेश काला कहते हैं कि आप इन प्रशिक्षित नौजवानों के साथ खड़ी है। जब से राज्य की नींव पड़ी है तभी से प्रशिक्षित बेरोजगारों की संख्या में इजाफा हुआ है। ऐसा नहीं कि इसके लिए कोई एक सरकार दोषी है। जितनी भी सरकारें अभी तक रही सभी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। जो कि हमारी व्यवसायिक शिक्षा पर ही सवाल खड़े करती है। आखिर क्यों नहीं सरकार प्रशिक्षित बेरोजगारों के लिए कोई नीति बनाती। हमारा प्रदेश शिक्षा का हब के रुप में देश-दुनिया में जाना जाता है और जब यहाँ पर इस तरह से प्रशिक्षित बेरोजगार सरकारों के खिलाफ धरना प्रदर्शन करेंगे तो आखिर हम देश दुनिया को क्या संदेश  देने जा रहे हैं। सरकारों को इसका संज्ञान लेकर कोई नीति निर्धारित करनी चाहिए जिससे हमारा युवा धक्का खाने को विवश न हो और उसका भविष्य उज्जवल हो सके। प्रशिक्षित बेेरोजगार अब तक की सरकारों पर वादाखिलाफी करने का आरोप लगाते हैं। उनका गुस्सा अपनों से है जिन्हें वे सरकार में प्रतिनिधित्व करने के लिए चुनकर भेजतेे है। वे कहते ने कहा पिछली सरकार ने उन्हें आंदोलन से उठाने के लिए झुनझुना थमाया आज हस्र जग जाहिर है। उन जैसे अनेक नौजवानों ने  इस उम्मीद से सिंगल इंजन से डबल इंजन की सरकार बनाने के लिए प्रचंड बहुमत वाली सरकार दी मगर आज वे खुद को छला ही महसूस कर रहे हैं। उन्होंने तल्ख लहजे में सरकार को चेताया कि अगर डबल इंजन की सरकार भी बीपीएड एमपीएड प्रशिक्षितों के भविष्य साथ पिछली सरकार की तरह खिलवाड़ करने की कोशिश करेगी तो वे इसका जवाब आगामी विधानसभा चुनाव का बहिष्कार कर देंगे। प्रदेश भर के प्रशिक्षित बेरोजगार बीपीएड/ एमपीएड परिवार, गांव, पड़ोस, क्षेत्र में सक्रियता दिखाते हुुए आईना दिखाने का काम करेंगे। प्रशिक्षित बेरोजगार कहते हैं कि ऐसी सरकारों को सत्ता में बनें रहने का कोई अधिकार नहीं हैं, जो युवाओं को रोजगार देने के बजाय उनका संवैधानिक अधिकारों से वंचित करने का काम करे। आज 9 सितंबर को 9 बजकर 9 मिनट के लिए बेरोजगारी के खिलाफ सांकेतिक दीये, टार्च, मोमबत्तियां जलाकर सरकार को जगाने का काम करेंगे।


आंदोलनरत प्रशिक्षित कहते हैं कि उत्तराखण्ड में सिर्फ बीपीएड/ एमपीएड प्रशिक्षित ही एक ऐसा प्रशिक्षित बेरोजगार वर्ग हैं जिनकी न्यायोचित मांगों पर राज्य बनने से लेकर अभी तक सिर्फ आश्वासन ही मिलते आए हैं।  वे अगर किसी सी पीड़ित हैं तो राज्य में अपने नेताओं के सौतेले व्यवहार से खासे आहत हैं। पृृथक राज्य बनने के बावजूद अभी तक इन्हें  इनकी योग्यता का शायद ही कोई लाभ  मिला हो।  जबकि वर्ष 2011 से ये लगातार अपनी मांगों को लेकर प्रदेश भर व राजधानी में आन्दोलनरत हैं। सरकारों की हिटलरशाही एक जैसी है सभी ने आंदोलन को कमजोर करने और आंदोलनरत प्रशिक्षितों को डराने-धमकाने की भरसक कोशिश की हैं। प्रशिक्षित बेरोजगार सदैव राजनीतिक अवसरवादी का शिकार होते आएं हैं। इन्हें आंदोलन बंद करने के नाम पर आश्वासनों का झुनझुना थमाया जाता है। जैसे ही ये सत्ता के करीब होते हैं तब उन वायदों को दरकिनार कर तरह-तरह के हथकंडे अपनाकर कभी इन्हें जेलों में ठूसा जाता है तो, कभी आन्दोलनरत प्रशिक्षितों को बेरहमी से लाठी-डंडों के बल प्रयोग कर इन्हें कमजोर किया जाता है। 


बीपीएड एमपीएड प्रशिक्षित बेरोजगार संगठन की प्रमुख मांगे:-


1- प्रत्येक प्राथमिक विद्यालयों में शारीरिक शिक्षक की नियुक्ति वर्ष वार वह वरिष्ठता के आधार पर की जाए।  


2- प्रत्येक उच्च प्राथमिक, शासकीय, व अशासकीय विद्यालयों में शारीरिक शिक्षक की नियुक्ति की जाए. 


3- प्रत्येक शासकीय व अशासकीय इंटर कॉलेजों में ब्यायाम प्रवक्ता पद सृजित किया जाए                                 


4- 26 2013 टीसी उच्च प्राथमिक विद्यालयों में ब्यायाम शिक्षकों की भर्ती के संबंध में फाइल गतिमान इस फाइल पर त्वरित कार्रवाई करके पद सृजित किया जाय।।   


5- उत्तराखंड में अब सरकारी सेवा में जो भी विज्ञप्ति निकाली जाती है तो उसमें बेरोजगारों को 3 साल की छूट दी जाए।। 


6- प्रत्येक माध्यमिक विद्यालयों में छात्रसंख्या के आधार पर एल टी के शारीरिक शिक्षक नियुक्त हों,जैसे-एक मुख्य शारीरिक शिक्षा अध्यापक व प्रत्येक 100 बच्चों पर अन्य सहायक शारीरिक शिक्षक के रूप में संविदा पर ही सही,पर नियुक्ति प्रदान करें।


7-प्रत्येक विद्यालय में 'खेल व शारीरिक शिक्षा' का अनिवार्य विषय बनाकर हिंदी विज्ञान गणित के तर्ज पर विषय के रूप में लागू किया जाय।    


इनकी मांगे कितनी जायज हैं या नहीं हैं। ये तय करना प्रदेश सरकार का काम है पर इतना जरुर है कि आज 9 सितंबर 9 बजकर 9 मिनट के लिए सांकेतिक दीए, टाॅर्च, मोमबत्तियां जलाकर प्रशिक्षित बेरोजगार सरकार को जगाने का काम कर रहे हैं। सरकारों को प्रशिक्षित बेरोजगारों के लिए कोई नीति निर्धारण का होना बहुत जरुरी है आखिर प्रशिक्षित बेरोजगार कब तक यूं ही धक्के खाते रहेगा या तो ऐसे व्यावसायिक प्रशिक्षण केन्द्र बंद कर देने चाहिए जब युवा प्रशिक्षित होकर ऐसे धक्के ही खाएगा तो क्यों प्रदेश में ऐसे संस्थानों की भरमार है जो ऐसे मंहगे कोर्सेज संचालित करवाए जाने के बाद नौजवानों को धक्के खाने को विवश करते हों।