टिहरी। प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने ऐसे समय में अपने कार्यकर्ताओं को तरजीह दी जब उन पर उन्हीं की पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता रहे संजय भट्ट जिन्हें 6 साल के लिए निष्कासित किया जा चुका है ने ये आरोप लगाए थे कि कांग्रेस में कार्यकर्ताओं की ही उपेक्षा की जा रही है। खासकर गढ़वाल और कुमाऊं की ज्यादा ही उपेक्षा का आरोप उन्होंने प्रदेश कांग्रेस के नेतृत्व पर लगाए और लिखा "बोए पेड़ बबूल के, आम कहाँ से होय"। प्रदेश कांग्रेस की इस घटना पर मुहर तब पुख्ता लग जाती है जब उस शक्स को वर्चुअल मीटिंग में शामिल नहीं किया जाता जो इससे पूर्व उस संगठन की कमान संभाल रहा हो तब खुद को अलग-थलग पड़ते देख उन्होंने
(किशोर उपाध्याय ने) अपनी पीड़ा को एक ट्वीट के माध्यम से उजागर किया। अब ऐसे में सवाल तो उठेंगे ही कि जो शक्स कल तक सभी वरिष्ठ कांग्रेसजनों यानी प्रथम कतार को एकजुट करने की बात कर रहा हो भला जब वही ठगा सा महसूस कर रहा हो तो आम कार्यकर्ताओं के लिए तो राह आसान नहीं है। लगता है प्रदेश कांग्रेस को उनके उस ट्वीट से किसी निष्कर्ष पर पहुंच कांग्रेसजनों को उनके निष्ठा और समर्पण भाव को देखते हुए आगामी लक्ष्य को कैसे हासिल करना है उस लिहाज से फील्डिंग सजाने चली है। वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी और छात्र राजनीति से अपने कार्यों की वजह से चर्चा में रहने वाले नरेन्द्र राणा को प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने सचिव की अहम
जिम्मेदारी सौंपी है। नरेन्द्र राणा को मिली जिम्मेदारी से लगता है कि संगठन ने अपने समर्पित कार्यकर्ताओं को तरजीह देना शुरु कर दिया है। नरेन्द्र राणा इससे पूर्व पीसीसी अध्यक्ष रहे
किशोर उपाध्याय के कार्यकाल में भी प्रदेश कांग्रेस कमेटी में नीति नियोजन एवं विचार विभाग के सचिव जिसके अध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना हुआ करते थे, यानी पदेन सचिव के रुप में भी जिम्मेदारियों का अच्छे से निर्वहन कर चुके हैं। उससे पूर्व वे टिहरी जिले में महामंत्री, थौलधार ब्लॉक से ब्लॉक अध्यक्ष जिसके कि वे मूल निवासी भी हैं, की जिम्मेदारियों का बखूबी निर्वहन कर चुके हैं। नरेन्द्र ने जिम्मेदारी सौंपे जाने पर अपने क्षेत्रीय विधायक (पूर्व में ) रहे विक्रम सिंह नेगी जो प्रदेश कांग्रेस कमेटी में उपाध्यक्ष भी हैं व शीर्ष नेतृत्व का आभार व्यक्त किया और कहा जो जिम्मेदारी प्रदेश कांग्रेस ने उन्हें सौंपी है उसको वह आगामी विधानसभा चुनावों में साबित कर दिखाने की भरसक कोशिश करेंगे। कांग्रेस जिम्मेदारियां जरुर सौंप रही है मगर जब तक अंदरुनी कलह विराम नहीं देते तब तक आगामी राह आसान नहीं लगती।