देहरादून। नैतिक मूल्यों के क्षरण के दौर में उत्तराखंड के लिए ये कोई पहली घटना नहीं है इससे पूर्व भी महिलाएं यौन शोषण के आरोप राजनीतिक हस्तियों पर लगा चुकी हैं। एनडी तिवारी सरकार में जैनी प्रकरण तब खूब चर्चाओं में रहा। पूर्व मुख्यमंत्री एन डी तिवारी पर भी तब ऐसा ही आरोप उनके समकक्ष रहे केंद्रीय मंत्री की पुत्री उज्जवला शर्मा ने अपने बेटे
* मुख्यमंत्री का इस घटना पर दिया गया बयान है कि दोनों पक्षों ने अपनी शिकायत पुलिस को दी है और पुलिस को उनका काम करने देना चाहिए।
* विधायक पत्नी ने 14 अगस्त को नेहरु काॅलोनी थाने में पीड़िता पर पांच करोड़ फिरौती का आरोप लगाते हुए किया मुकदमा दर्ज।
* नए मीटू कांड से कांग्रेस को मिला सरकार को घेरने का एक और मौका।
* पीड़िता का आरोप तकरीबन दो साल से द्वाराहाट विधायक महेश नेगी ने किया यौन उत्पीड़न वे अपनी बेटी का डीएनए टेस्ट करवाना चाहती हैं अगर वह विधायक से मैच करता है तो वह उसके पूरे हक दिलवाना चाहती हैं।
को पिता का नाम दिलवाने की एक लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी तब एनडी तिवारी तक को डीएनए टेस्ट करवाने को कोर्ट ने कहा था और उसी डीएनए टेस्ट से रोहित शेखर तिवारी को उनका हक मिला। तदुपरांत मीटू मुहिम अपने चरम पर रहा जिसमें यौन उत्पीड़न के वर्षों पुराने मामले उजागर होने लगे उसी के तहत भाजपा के संगठन महामंत्री संजय कुमार पर एक महिला यौन शोषण के आरोप लगा चुकी है। ये आंच ठंडी भी नहीं हुई कि एक नया मीटू कांड के तहत अब भाजपा के द्वाराहाट विधानसभा से विधायक महेश नेगी पर द्वाराहाट विधानसभाकीकी एक पीड़ित महिला द्वारा पिछले 2 साल से शारीरिक यौन उत्पीड़न किए जाने का वीडियो वायरल हुआ हैं। वह कहती है कि वह अपनी बेटी को पिता का हक दिलाने की आवाज उठा रही है और अब वह अपनी और अपनी बेटी की सुरक्षा को लेकर भी चिंतित है। वह यह भी कहती है कि वह अपनी बेटी का डीएनए टेस्ट करवाना चाहती है। हालांकि ये अभी पुलिस जांच का विषय है। जिसे साबित हुए बगैर कुछ भी कहना अतिशयोक्ति होगी मगर सरकार और पुलिस को दोनों पहलुओं की जांच करनी चाहिए। नारी का पक्ष सुने बिना भी तो न्याय नहीं हो सकता है। ये वही भाजपा है जो 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' के श्लोगन का खासा इस्तेमाल करती है तब व्यक्ति चाहे कोई भी क्यों न हो किसी भी व्यक्ति के ऐसे आचरण से हमारी देवभूमि कलंकित होती है। खासकर उत्तराखंड देवस्थल है जिसके चारों तरफ देवताओं का वास है यहाँ ऐसी आसुरी घटनाओं के लिए ना कोई स्थान है और न होना चाहिए। वह भी तब जब हम कहते हैं 'यत्र नार्यस्तु पूजयंते, रमंते तत्र देवता। अर्थात जहां नारियों की पूजा की जाती है वहां देवता वास करते हैं।' अब ऐसे में कैसे कोई देवता देवभूमि में वास करेंगे। जब जब देवभूमि में आसुरी प्रवृत्तियों का वास होने लगा तब से ही केदारनाथ जैसी प्रलय देखने को मिलती है। दोषी चाहे जो भी हो दूध का दूध पानी का पानी करने का जिम्मा पुलिस का है। मामला 14 अगस्त को तब उजागर हुआ जब विधायक की पत्नी ने द्वाराहाट विधानसभा की ही एक महिला के खिलाफ नेहरु कालोनी थाने में 5 करोड़ की फिरौती मांगने का आरोप लगाते हुए मुकदमा दर्ज करवाया। वहीं आरोपी महिला का एक वीडियो सार्वजनिक रुप से सोशल मीडिया में जारी हुआ है जिस में वह विधायक महेश नेगी पर यौन शोषण का आरोप लगाते हुए कह रही है कि उनसे उनकी एक बेटी भी है जिसका अगर डीएनए टेस्ट करवाया जाए तो उससे उसको एक पिता का नाम मिल सकेगा क्योंकि वह बेटी महेश नेगी की ही है। अब सवाल उठता है कि अगर विधायक पाक-साफ हैं तो उन्हें अपने पर लगाए गए आरोपों की जांच में पुलिस को सहयोग करना चाहिए। कैसे कोई महिला एक जनप्रतिनिधि पर ऐसे बेबुनियाद आरोप लगा सकती है वह भी सार्वजनिक रुप से सोशल मीडिया जैसे जनोपयोगी प्लेटफार्म का सहारा लेकर माना कि आज सोशल मीडिया पर ये आरोप लगते हों कि ये भ्रामक खबरें परोसने का काम करता है बावजूद इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता है कि अब जिस बात को पहले खुलकर बोलने से आमजन कतराता हो उसे अब खुलकर बोलने की आजादी भी सोशल मीडिया ने दी है और इसके सकारात्मक परिणाम भी सामने आए हैं। जो बात वह महिला सार्वजनिक न कह सकी उस पीड़ा को उसने सोशल मीडिया का सहारा लेकर कहा। अब जब बात बेटी यानी स्त्री की होती हो उसका अपमान पूरी मानवता का अपमान है। सत्ता संघर्ष का सबसे बड़ा हथियार राजनीति है और राजनीति में कब कहाँ से चोट पहुंच जाए कुछ भी नहीं कहा जा सकता। पितृसत्तात्मक समाज में मातृ शक्ति का सम्मान होना जरुरी है। कहानी में कहीं न कहीं कुछ तो झोल है जिससे महिला को अपनी बेटी के हक के लिए महिला आयोग तक का दरवाजा खटखटाने को बाध्य होना पड़ा। उन्होंने अपना शिकायती पत्र न्याय पाने के लिए महिला आयोग तक को दे दिया और महिला आयोग ने भी उसकी
गंभीरता को लेकर उस पर त्वरित कार्रवाई कर पुलिस अधीक्षक अल्मोड़ा को एक पत्र जारी किया जिसमें घटना के सभी पहलुओं की न्याय संगत जांच कर 9 अगस्त 2020 तक अवगत कराने को कहा है। अब न्याय देना पुलिस के हाथ में है वह कब तक दूध का दूध पानी का पानी कर पीड़ित पक्षों को न्याय दिलाती है। यह जरुर रोचक हो सकता है कि पीड़िता जिस व्यक्ति पर आरोप लगा रही है वह सत्ता पक्ष के विधायक हैं। पीड़ित महिला ने भी रिपोर्ट दर्ज कर पुलिस से अपनी बेटी को पिता के अधिकार दिलाने में निष्पक्ष जांच कराये जाने की मांग की है। आम आदमी पार्टी के प्रदेश मीडिया प्रभारी डॉ0 राकेश काला कहते हैं
"है गुजारिश यही मेरी, अब नारी को मत सताओ।
तुम मनुष्य हो तो मनुष्यता के लिए जियो,
जानवर मत बन जाओ।"
कि वैसे यह अभी जांच का विषय है लेकिन काफी कुछ पुलिस की विवेेचना पर निर्भर करता है। मगर आम आदमी पार्टी एक पीड़ित महिला के साथ है हमारे प्रदेश नेतृत्व ने इस मुुद्दे पर चुप्पी न साध एक महिला को न्याय दिलवाने के लिए पहल की है उन्होंने मुख्यमंत्री आवास कूच किया है। वे कहते हैं कि अगर विधायक बेदाग हैं तो उन्हें अपना पक्ष रखना चाहिए। ये देवभूमि हैै यहां के जनप्रतिनिधि पर अगर ऐसे आरोप लगेंगे तो जनता भी उन क्या उम्मीद करेगी और अगर पीड़िता की बातों पर गौर फरमाएं तो हम एक जन प्रतिनिधि होने केे नातेे क्या संंदेश दे रहे हैं। एक ओर बेटी बचाओ, बेटी पढाओ की बात करते हैंं वहीं बेटियों के साथ इस तरह का दुर्व्यवहार कर खुद की गरिमा को तो ठेस पहुंचाते ही हैैं उससे ज्यादा ठेस प्रदेश को पहुंचती है। देवभूमि हमारे पुरखों की अथक तपस्या का प्रतिफल है यह ऋषि मुुनियों की आध्यात्मिक स्थली है। कम इसकी गरिमा का ख्याल तो रखें। आप कार्यकर्ताओं ने अलग अलग जगहों पर इस संबंध में मुख्यमंत्री को अनेकों माध्यम से ज्ञापन भेजा हैै। वहीं कांग्रेस पार्टी ने भी ज्ञापन में कहा कि द्वाराहाट के भाजपा विधायक पर एक महिला ने यौन शोषण और उत्पीड़न के गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने ज्ञााप में डीएनए टेस्ट कराने की मांग की है। बेटी के नारे को प्रचारित करने वाली भाजपा सरकार के एक विधायक पर ऐसे आरोप लगते हैं तो स्थिति गंभीर प्रतीत होती है। कहा कि उक्त विधायक पर लगे आरोपों की निष्पक्ष व पक्षपात रहित जांच होनी चाहिए ताकि समाज में पल रही महिला उत्पीड़न की मानसिकता को पूर्णता नकारा जा सके। वहीं प्रदेश कांग्रेस सचिव नरेन्द्र राणा
कहते हैं कि कांग्रेस पीड़ित महिला के साथ है सरकार के बिना किसी दबाव में पुुलिस को कार्य करने देना चाहिए। और अगर आरोप बेबुनियाद हैं तो विधायक को जांच से डरने की क्या जरुरत है। उन्हें महिला के आरोपों का सामना करना चाहिए।