टिहरी। वनाधिकार आंदोलन के संयोजक एवं पूर्व पीसीसी अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने जब से नई टिहरी में गृह प्रवेश किया तब से वे लगातार टिहरी जनपद भ्रमण कार्यक्रम कर जन संवाद बनाए हुए हैं। उनका टिहरी विधानसभा आना और जन संवाद स्थापित करना आगामी 2022 की ओर ईशारा भी कर रहा है। वे अपने मूल गांव से इसकी शुरुआत कर जगह जगह लोगों से वनाधिकार आंदोलन के माध्यम से भी अपनी बात पहुंचाने का भरसक कोशिश में लगे हुए हैं। वे कोविड-19 यानी वायरस जनित वैश्विक महामारी में जन-मानस के साथ “जन संवाद” बनाने में लगे हुए हैं। उनके जन संवाद में स्थानीय लोगों ने दुग्ध संघ टिहरी की कार्य प्रणाली को लेकर सवाल खड़े करते हुए समय पर भुगतान न करने खामियां बताई। दुग्ध संघ टिहरी द्वारा कई महीनों से स्थानीय दुग्ध उत्पादकों की मेहनत दूध का पैसा समय पर नहीं दिया जा रहा है, गांववासियों यानी दुग्ध उत्पादकों ये राशि लगभग ₹ 8000000/- (रू० अस्सी लाख) से अधिक है। अगर इस विषम परिस्थिति में भी स्थानीय किसानों का समय पर भुगतान नहीं किया जाएगा तो वह कैस खुद की आजीविका चलाएंगे हैं। सीमान्त कृषक अपनी आजीविका चलाने के लिए लघु कृषि के साथ-साथ एक-दो भैंसे पालकर अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं। वे अपनी आजीविका बच्चों के भविष्य के लिए का न चाहते हुए दुग्ध संघ को दूध देने को मजबूर हैं ताकि उससे मिलने वाली राशि से वह अपने बच्चों का भविष्य बना सकें, और उनका उससे एकमुश्त मिलने वाली रकम से समय पर वह पैसा काम आ सके, लेकिन सरकारी अकर्मण्यता ने उनकी आशाओं में पानी फेरने का काम किया है। उन्होंने क्षेत्रीय समस्या के समाधान हेतु विभागीय मंत्री डॉ0 धन सिंह रावत से फोन पर वार्ता की। उन्होंने विश्वास दिलाया कि भुगतान शीघ्र ही कर दिया जाएगा और इसी के साथ दुग्ध संघ के कर्मचारियों के 32 महीनों से बकाया भुगतान भी शीघ्र करने को आश्वस्त किया है। वनाधिकार आंदोलन के तहत किशोर ने इससे पूर्व में मरियाब, चौंराधार (जाखणीधार) में युवाओं से मिलकर मौजूदा परिस्थिति पर चर्चा की। उन्होंने कहा आज कोविड-19 की वजह से सबसे ज्यादा अगर कोई प्रभावित हुआ है, तो वह युवा वर्ग ही है। जो अपने अपने कार्य क्षेत्र को छोड़कर अपने घर वापस आया है अब उसके सामने आजीविका चलाने का संकट गहराया हुआ है। उन्होंने कहा कि सरकार की गलत नीतियों की वजह से युवा बेरोजगार हो चुका है, आज उन्हें अपने भविष्य को लेकर चिंता सता रही है। जन संवाद के इस कार्यक्रम के तहत कई और क्षेत्रीय जन समस्याएं उनके समक्ष देखने को मिली। उन्होंने इनके निवारण के लिए जल्द ही जनता के साथ मिलकर आंदोलन की रुप-रेखा भी तैयार करने की बात कही। क्योंकि बगैर अपनी बात रखे किसी भी जन समस्याओं का निवारण नहीं होता विपक्ष का काम ही जनता की समस्याओं को सरकार के समक्ष रखना है। जिससे उनका समाधान हो सके लेकिन वे जिस वनाधिकार आंदोलन के तहत लोगों से जन संवाद कर रहे हैं वह एक मिश्रित रुप है क्योंकि वे पहले भी कह चुके हैं कि इसकी सहमति उन्हें कांग्रेस पार्टी ने दी है और एक नेता का काम ही जन संवाद स्थापित कर समस्याओं का निवारण करना होता है।
उन्होंने कल बीपीएड/एमपीएड प्रशिक्षितों की निम्न 7 सूत्रीय माँगो को स्वीकार करने का मुख्यमंत्री से आग्रह किया है। जो निम्नवत हैं।
1- प्रत्येक प्राथमिक विद्यालयों में शारीरिक शिक्षक की नियुक्ति वर्ष वार वरिष्ठता के आधार पर की जाए।
2- प्रत्येक उच्च प्राथमिक, शासकीय, व अशासकीय विद्यालयों में शारीरिक शिक्षक की नियुक्ति की जाए।
3- प्रत्येक शासकीय व अशासकीय इंटर कॉलेजों में ब्यायाम प्रवक्ता पद सृजित किया जाए।
4- 26. 2013 टीसी उच्च प्राथमिक विद्यालयों में ब्यायाम शिक्षकों की भर्ती के संबंध में फाइल गतिमान है इस फाइल पर त्वरित कार्रवाई करके पद सृजित किया जाए।
5- उत्तराखंड में अब सरकारी सेवा में जो भी विज्ञप्ति निकाली जाती है तो उसमें बेरोजगारों को 3 साल की छूट दी जाए।
6- प्रत्येक माध्यमिक विद्यालयों में छात्र संख्या के आधार पर एल टी के शारीरिक शिक्षक नियुक्त हों,जैसे-एक मुख्य शारीरिक शिक्षा अध्यापक व प्रत्येक 100 बच्चों पर अन्य सहायक शारीरिक शिक्षक के रुप में संविदा पर ही सही, पर नियुक्ति प्रदान करें।
7-प्रत्येक विद्यालय में 'खेल व शारीरिक शिक्षा व योग' का अनिवार्य विषय बनाकर हिंदी विज्ञान गणित के तर्ज पर विषय के रूप में लागू किया जाएं।
आशा है, वे इसे स्वीकार करेंगे। वायरस जनित महामारी कोविड-19 के दृष्टिगत अब सरकार उनकी मांगों पर कितना गौर फरमाती है