पीपीपी मोड से संचालित गैरजिम्मेदाराना स्वास्थ्य सेवाओं का खामियाजा भुगत रहा एक सभासद

टिहरी। उत्तराखंड में पीपीपी मोड से संचालित स्वास्थ्य सेवाओं से कैसे आमजन लाभान्वित होता है ये जानने के लिए एक बेहद संवेदनशील मुद्दे पर आज उत्तराखंड के आम जन मानस का ध्यान केंद्रित करना वक्त की जरुरत है। क्योंकि सवाल सरकारों की कार्य शैली को लेकर है। सरकार स्वास्थ्य सेवाओं को कब तक पीपीपी मोड यानी राम भरोसे छोड़ेगी। टिहरी जनपद के राजकीय सीएचसी बेलेश्वर चमियाला, घनसाली, राजकीय सीएचसी हिण्डोलाखाल, राजकीय जिला चिकित्सालय बौराड़ी को सरकार ने राम भरोसे छोड़े हुए हैं। इस बात की तस्दीक भाजपा के ही नगर पालिका परिषद चंबा से कर्मठ, जुझारु सभासद विक्रम सिंह चौहान करते है। जो वार्ड 5 रेडक्रास मोहल्ले से सभासद हैं और लाॅक डाउन के दौरान वार्ड 05 और 06 यानी कि नए और पुराने दोनों को ही वार्डों में कोविड-19 की गंभीरता को देखते हुए 24 अप्रैल की शाम को सफाई करवाते समय अचानक सैंडिल को चीरते हुए एक सरिया उनके पैर में जा घुसा। वे चोटिल हुए और घर के नजदीकी राजकीय सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र चंबा में पांव का प्राथमिक उपचार कराने पहुंचे। वहां पर उपस्थित स्टाफ ने उनके पैर की ड्रेसिंग की और पैर में टांके लगा दिए। जो उस समय जिला चिकित्सालय के रुप में अपनी सेवाएं दे रहा था तब वैश्विक महामारी कोविड-19 की गंभीरता को देखते हुए नई टिहरी बौराड़ी स्थित जिला चिकित्सालय कोरोना के लिए खाली करवाया गया था। जबकि 27 अप्रैल से राजकीय चिकित्सालयों में कार्य पूर्व की भांति से चलने लगा। 25 अप्रैल को पांव में सूजन आते देख चौहान ने राजकीय जिला चिकित्सालय बौराड़ी के सचल वाहन से तत्काल चंबा में ही एक्स रे करवाया। नजदीक होने की वजह से सा0स्वा0केंद्र चंबा से बराबर ड्रेसिंग करवाई। 30 अप्रैल को जब उनके पैर में असहनीय दर्द होने लगा तो तब वे पुनः सीएचसी चंबा गए जहाँ मौजूद डॉ0 द्वारा उन्हें एडमिट होने को कहा गया और पैर के निचले हिस्से पर लगे टांके खोलने पड़े। चंबा में सर्जन न होने के कारण उन्हें 1 मई को जिला चिकित्सालय बौराड़ी, नई टिहरी रैफर किया गया। चौहान बताते हैं उन्हें जानकारी मिली थी कि नई टिहरी में डाॅ0 सुरेन्द्र एक अच्छे सर्जन हैं जो पैर की सर्जरी अच्छे से कर देंगे लेकिन उन्हें ये मालूम न था कि ये  प्राइवेट पब्लिक पार्टनरशिप किसी की जान की परवाह किए बिना भी काम करते हैं, अगर उन्हें थोड़ा सा भी इस बात का इल्म होता तो वे अपना पैर खराब न करवाते। उन्होंने तो डॉक्टर को भगवान मान कर अपना विश्वास जिला चिकित्सालय की स्वास्थ्य सेवाओं पर रखा मगर दुर्भाग्य ही कहेंगे कि उस दिन उनके जूनियर डॉक्टर सुबोध ने उनके पैर की जो सर्जरी की उसका दुष्परिणाम वे अभी तक भुगत रहें हैं। डाॅ0 सुरेंद्र ने तो ओटी में दर्शन मात्र दिए और जूनियर डॉक्टर सुबोध के हवाले केस देकर पल्ला झाड़ दिया। सभासद चौहान बताते हैं कि एनेस्थीसिया वाले डाॅ0 ने एनेस्थीसिया दिया और डाक्टर सुरेंद्र जिनके भरोसे वे वहाँ गए थे उन्होंने तो दर्शन मात्र दिए और उनके निर्देशन में डॉ0 सुबोध ने उनके पैर की सर्जरी शुरु कर पस ड्रेन किया घाव खोलकर उसकी सफाई की अब वे जिला चिकित्सालय की कार्यशैली से इसलिए खफा हैं कि जब एक योग्य डॉ0 मुहैया करवाया गया है तो उसने ऐसी गैर जिम्मेदाराना हरकत क्यों की? उस सर्जरी से भी उन्हें जब कोई आराम न मिला तब उन्होंने 21जुलाई को फिर हिमालय मेडिकल कॉलेज एवं चिकित्सालय जौलीग्रांट के डॉ0 मनु राजन को दिखाया उन्होंने सारे टेस्ट करवाने के बाद फिर से सर्जरी करवाने की सलाह दी। 23 जुलाई हिमालयन हॉस्पिटल जौलीग्रांट में उनके पैर की सर्जरी हुई जिससे तकरीबन10 से 20 ग्राम का सैंडिल का बड़ा टुकडा निकला उसके निकलने से वे अब खुद भी सुकून महसूस कर रहे हैं। भले ही अभी घाव भरने में समय लगेगा मगर उनकी इस असहनीय शारीरिक और मानसिक पीड़ा का जिम्मेदार कौन होगा जिसे उन्होंने अप्रैल माह से जुलाई तक झेला। जो चोट एक माह में ठीक हो जानी चाहिए थी उसके लिए तीन माह का असहनीय दर्द पीपीपी की लचर एवं गैर जिम्मेदाराना रवैये की वजह से झेला। उसकी भरपाई होने तक न जाने कितना समय और लगेगा कुछ पता नहीं। ऐसे में पीपीपी की कार्य शैली पर सवाल तो खड़े होंगे ही कि क्या इसलिए सरकार ने जिला चिकित्सालय को पीपीपी मोड पर दिया कि वे आमजन के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करें। वे बताते हैं जब एक जनप्रतिनिधि के स्वास्थ्य के साथ ऐसा खिलवाड़ कर सकते हैं तो आमजनता का क्या हाल होता होगा जो सरकारी के नाम पर उनकी स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ लेने कई किमी0 दूरी नापकर एक उम्मीद से आते हैं। आईए इस समूचे प्रकरण पर क्या कहना है जनप्रतिनिधियों का। इस संदर्भ में जब विधायक टिहरी से संपर्क साधा उन्होंने फोन नहीं उठाया। 


 


"मैं वार्ड 5 रेडक्रास मोहल्ले से दूसरी बार नगरपालिका परिषद चंबा से सभासद हूँ इससे पूर्व पिछली बार वार्ड 6 वनौषधिवाटिका से सभासद था। लगातार जनसेवा में समर्पित भाव से काम करते हुए 24 अप्रैल को मेरे पैर में सरिया घुसने से मैं चोटिल हो गया। स्वास्थ्य सेवाओं में व्यवस्थाएं सुधारने के लिहाज अपनी सरकार के इस फैसले से जितना खुश मैं पहले था आज उतना ही अंतरमन से दुखी भी हूँ। जिला चिकित्सालय बौराड़ी को पीपीपी मोड से संचालित करवाए जाने को लेकर, लेकिन जब खुद के साथ नाइंसाफी हुई तो हतप्रभ रह गया कि क्या कोई वाकई में अपने पेशे से भी इतना बड़ा अपराध कर सकता है अगर मैं इनके देहरादून जौलीग्रांट स्थित हिमालयन मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय के विशेषज्ञ डॉ0 मनु राजन को न दिखाता तो मैं आज अपना पैर गंवां चुका होता अभी पुनः सर्जरी हुई है न जाने कितने माह उसकी भरपाई में लग जाएंगे। अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी। मगर इतना जरुर है पीपीपी मोड से संचालित जिला चिकित्सालय बौराड़ी द्वारा किए गए कृत्य के लिए कानून विदों से मिलकर जो भी कानूनी कार्रवाई होगी करुंगा जरुर और सरकार में मुख्यमंत्री/स्वास्थ्य मंत्री से भी उपरोक्त के खिलाफ कार्रवाई की मांग करुंगा अगर ऐसा न हुआ तो मजबूरन अनशन पर बैठूंगा। सरकार इस चिकित्सालय को प्राईवेट प्रबंधन के हाथों देकर लोगों की जान के साथ खेल रही है। इसे पीपीपी मोड से संचालित न करवाकर उतने ही संसाधनों से इस चिकित्सालय की स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार लाकर पूर्व की भांति चलाया जाए। अगर ऐसा न हुआ तो आमरण अनशन पर बैठूंगा ताकि आमजन के स्वास्थ्य के साथ निकट भविष्य में खिलवाड़ न हो सके। जब से इस चिकित्सालय को पीपीपी मोड से संचालित करवाया जा रहा है 'ऊंची दुकान, फीका पकवान' ही साबित हुआ है। सरकार बेवजह सालाना करोड़ों की लागत प्राईवेट प्रबंधन पर खर्च कर रही है इतने में तो सरकारी व्यवस्थाओं पर खर्च कर उसको ढर्रे पर लाया जा सकता था।"


  - विक्रम चौहान,(पीड़ित) सभासद, नगर पालिका परिषद चंबा, टिहरी


 "आखिर कब तक सरकारी खजाने की बंदरबांट होती रहेगी। जिस जिला चिकित्सालय में कभी 700-800 लोगों की ओपीडी प्रतिदिन होती थी, और तकरीबन 98% डॉक्टर मेरे कार्यकाल में थे लेकिन आज दुर्भाग्य ही कहेंगे कि अब यहां पर सिवाय जांच के कुछ भी नहीं हो पा रहा है। डबल इंजन सरकार की ऐसी क्या मजबूरी थी कि इसे पीपीपी मोड में देना पड़ा। जिस जिला चिकित्सालय पर पहले 80 लाख से एक करोड़ सालाना खर्च होता था आज स्थिति ये है कि 5 करोड़ सलाना जिला चिकित्सालय पर खर्च हो रहें हैं और अब तो ये भी सुनने में आ रहा है कि सालाना 1 करोड़ का इसमें इजाफा हो रहा है। आज इसके नकारात्मक परिणाम के रुप में नगर पालिका परिषद चंबा के कर्मशील सभासद विक्रम चौहान को अपने पैर की फजीहत करवाकर उठाना पड़ रहा है। जो कि भाजपा के लिए शर्मनाक है। जब भाजपा के एक सभासद को ऐसी फजीहत करवानी पड़ रही हो तो आम आदमी की कितनी फजीहतों का सामना करना पड़ता होगा उम्मीद की जा सकती है। सरकारों को आम आदमी के स्वास्थ्य के साथ ऐसा खेल-खेलना बंद करना चाहिए। जिला चिकित्सालय की अव्यवस्थाओं का आलम ये है कि रेजिडेंट डॉ0 की नेम प्लेट पर प्रशिक्षु डाॅक्टरों से काम लिए जा रहे हैं। कोई जिम्मेदार व्यक्ति जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं हैं। टिहरी वासियों का इससे बड़ा दुर्भाग्य और क्या हो सकता है? डबल इंजन की सरकार द्वारा पब्लिक की जेब में डाका डालने का काम किया जा रहा। जो कि बिल्कुल भी उचित नहीं है। मैं सरकार के स्वास्थ्य सेवाओं को ऐसे गैरजिम्मेदार हाथों में देने का बिल्कुल पक्षधर नहीं हूँँ अगर वक्त रहते सरकार ने इसमें सुधार न किया तो आंदोलन ही एकमात्र रास्ता है। "   


-दिनेश धनै, केंद्रीय अध्यक्ष, उत्तराखंड जन एकता पार्टी


पूर्व विधायक टिहरी /पूर्व काबीना मंत्री उत्तराखंड सरकार 


" जिला चिकित्सालय बौराड़ी टिहरी जनपद का एक मात्र चिकित्सालय है जो इस सरकार ने पीपीपी मोड में देकर आमजन के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ किया है आज इसकी स्थिति ऐसी हो गई है कि ये जिला चिकित्सालय के बजाय एक रेफरल सेंटर बना दिया गया है। मैं विक्रम सिंह चौहान के साथ अस्पताल द्वारा किये गये कृत्य की निंदा करता हूँ। अगर चौहान भी आम व्यक्ति होते तो उनका तो सब कुछ लुट चुका होता स्थिति यहां तक होती कि पैर भी गंवां चुके होते। ईश्वर से उनके यथाशीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना करता हूँ। सरकार के इस फैसले के खिलाफ कांग्रेस ने तब भी आवाज उठाई थी और आज भी इसके विरोध में हैं ये महज सरकारी खजाने की खुल्लम खुल्ला लूट है। अगर इस अस्पताल का ऐसा ही हाल रहा तो वे आंदोलन का सहारा लेंगे। इतने बड़े इन्फ्रास्ट्रक्चर होने के बावजूद रकार न जाने पीपीपी का क्यों सहारा ले रही है। "


      -विक्रम सिंह नेगी, पूर्व विधायक, प्रतापनगर 


" मैं व्यक्तिगत टिहरी जनपद के मुख्य चिकित्सालय जो कि अच्छे से स्वास्थ्य सेवाओं को संचालित कर रहा था, को एकाएक प्राईवेट पब्लिक पार्टनरशिप से संचालित करवाने के विरोध में था। मगर सरकार ने जो निर्णय लिया होगा कुछ विचार करके लिया होगा। क्योंकि वह मेरे संज्ञान से बाहर क्षेत्रीय विधायक के स्तर का निर्णय है। मगर दुर्भाग्य इस बात को लेकर है कि आज इस स्वास्थ्य सेवा से आमजन लाभान्वित कम और परेशान ज्यादा हो रखा है तब पौड़ी, अल्मोड़ा को भी पीपीपी मोड में देने की बात चल रही थी वहां पर विरोध के चलते ये स्कीम कामयाब नहीं हुई लेकिन दुख इस बात का है आज जब मेरे ही भाजपा परिवार का एक ईमानदार, संघर्षशील सभासद इस चिकित्सालय की गैरजिम्मेदाराना स्वास्थ्य सेवा से शारीरिक एवं मानसिक वेदना को झेल रहा तो उस पर चुप्पी नहीं साधी जा सकती। सरकार को इस गंभीर विषय को जरुर संज्ञान में लेना चाहिए और अगर पीपीपी मोड से संचालित प्राईवेट प्रबंधन ऐसे ही आमजन के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करते रहेगा तो ये किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा तब चाहे क्यों न सेवा प्रदाता प्राईवेट प्रबंधन के खिलाफ आंदोलन करना पड़े उससे भी पीछे नहीं हटूंगा। विक्रम चौहान के यथाशीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना करता हूँ। "


 -खेम सिंह चौहान, (पूर्व ब्लॉक प्रमुख), वरिष्ठ भाजपा नेता टिहरी 


" कब तक पब्लिक ऐसे अत्याचार सहती रहेगी। इसका जिम्मेदार कौन है? सभासद विक्रम चौहान के अनावश्यक खर्च एवं उससे होने वाले शारीरिक दुष्परिणामों की भरपाई कौन करेगा। जो जिला चिकित्सालय पहले 16 लाख महीने के खर्च पर चलता था आज बेवजह 64 लाख खर्च करके भी उसकी स्थिति बद से बदत्तर है। जिसका प्रमाण नगर पालिका परिषद के कर्मठ सभासद विक्रम चौहान जैसे अनेकों लोग आए दिन चिकित्सालय की खामियों की सजा भुगत रहें हैं। उनके स्वास्थ्य लाभ की कामना करता हूँ।"


   -प्रताप गुसांई , पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष


" सभासद विक्रम चौहान के साथ जो हुआ वह सरकार के फेल्योर को दर्शाता है। समाज का एक चुना हुआ जन प्रतिनिधि जो दिन रात अपने कर्तव्यों का सरकार की गाइडलाइन के हिसाब से कोविड-19 जैसी महामारी में बढ़ चढ़ कर अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए चोटिल हो गया और सरकार के प्रतिनिधि ने ये पूछने की जहमत तक नहीं उठाई कि वह कैसा है तो आमजन के साथ सरकार कैसा बर्ताव करती होगी समझ से परे है। सरकार की खामियों को टिहरी के लोग घटिया स्वास्थ्य सेवाओं के रुप में भुगत रहे हैं। इनके स्थान पर कोई अन्य गरीब होता तो शायद वह ऐसी घटिया स्वास्थ्य सेवा की वजह से अपना पैर ही खो चुका होता। इस मामले को लेकर जल्द ही जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यंमत्री तक को अवगत कराऊंगा। अगर शासन-प्रशासन ने इसकी सुध नहीं ली तो आंदोलन ही एक मात्र रास्ता बचा है उसी का सहारा लेंगे। ईश्वर से सभासद विक्रम चौहान के स्वास्थ्य लाभ की कामना करता हूँ।"


    - नरेंद्र राणा, वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी


"नगर पालिका परिषद चंबा से वार्ड 05 से चुने हुए जनप्रतिनिधि विक्रम चौहान के साथ जिला चिकित्सालय की पीपीपी मोड से संचालित सेवा प्रदाता प्रबंधन ने जिस घटिया सेवा की मिसाल पेश की उसकी जितनी निंदा की जाए उतना कम है। क्योंकि ये कोई राजनीति का विषय नहीं है हम भी भाजपा के कार्यकर्ता हैं और जो कोविड-19 जैसी विषम परिस्थितियों में सेवा देने का काम कर रहे थे ऐसे कोरोना वारियर्स के साथ जब सेवा प्रदाता हिमालयन हास्पिटल के डॉ0 ने जो बर्ताव किया वह निंदनीय है। मैं व्यक्तिगत इसका बहिष्कार करता हूँ और अपनी सरकार से मांग करता हूँ कि इस विषय का संज्ञान लेकर कड़ी से कड़ी कार्रवाई कर उन्हें न्याय दे वे अस्पताल प्रबंधन के किए गए कृत्य से मई माह से अब तक की सजा भुगत रहे हैं और न जाने कितने समय में स्वास्थ्य लाभ लेंगे उनके स्वास्थ्य लाभ की कामना करता हूँ।"


बिक्रम गुसांई, पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष, एडवोकेट, बार एसोसिएशन कोषाध्यक्ष ऋषिकेश