देहरादून।, आज प्रातः सामाजिक कार्यकर्ता रविंद्र पडियार की सोशल मीडिया में एक पोस्ट देख उसके बारे में जानकारी प्राप्त करनी चाही तो पता चला कि ये उनके मोहल्ले यानी सरस्वती विहार सी- ब्लॉक, लेन- 4 का ही वाकया है जहाँ पर एक निर्माणाधीन भवन में ग्राउंड टैंक बनाया गया है और उसमें
*अगर मन में भाव हो तो कुछ भी असंभव नहीं है। ऐसा ही कुछ सामाजिक कार्यकर्ता रविंद्र पडियार ने लोगों के साथ मिलकर कुछ कर दिखाया।
शायद रात्रि के अंधेरे में एक गौवंश तकरीबन 4-5 फीट के टैंक में जा गिरा। जिसकी सूचना उन्हें प्रातः 5.30 बजे मार्निंग वाॅक करने वाले उन्हीं के पड़ोसी बलवीर सिंह राणा ने दी कि मोहल्ले के ही एक निर्माणाधीन खुले भवन में एक गौवंश शायद रात के अंधेरे में टैंक में जा गिरा। उन्हें जैसे ही सूचना प्राप्त हुई उनके अंदर का (स्वच्छ परिवेश) सेवा भाव जागा और प्रातः 5.30 बजे से ही अपने पड़ोसी बलवीर राणा एवं हर्षपति पोखरियाल की मदद से तकरीबन पौन घंटे की मशक्कत से वे गौवंश को नव जीवन देने में कामयाब हुए। सामाजिक कार्यकर्ता रविंद्र पडियार बताते हैं कि पानी का टैंक काफी गहरा था जिस कारण गौवंश को निकालने के लिए सीढ़ी का सहारा लेना पड़ा। कहावते इसीलिए बनी हैं 'जाको राखे सांईयां, मार सके न कोई'। वह तो भला हो बलवीर राणा का जिनकी नजर उस स्थान पर पड़ी जहां गौवंश टैंक में पड़ा था समय रहते अगर इस गौवंश को बाहर न निकाला जाता तो वह हताशा से वहीं पर दम तोड़ देती। आखिर कार सामाजिक कार्यकर्ता रविंद्र पडियार का सेवा भाव जागने से सभी की उम्मीदे जगी और पौन घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद गौवंश को बाहर निकाला जा सका। मोहल्ले मेें कोई बड़ा हादसा होता उससे पहले गौवंश ने सबको आगाह करवा दिया लेकिन सवाल अभी भी बरकरार हैं कि क्यों भवन स्वामी पूर्व में हुई घटनाओं का संज्ञान नहीं लेते। देहरादून महानगर के लिए ये कोई नई घटना नहीं है इससे पूर्व भी कई मां-बाप ऐसी घटनाओं से अपनों को खो चुके हैं, के बावजूद भी लोग भवन तो आलीशान बनवा लेते हैं मगर उससे दूसरे को क्या खामियाजा भुगतना पड़ सकता है उससे अनभिज्ञ होते हैं। शासन-प्रशासन को इस तरह की अनभिज्ञता का संज्ञान लेकर उन पर तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए जिससे कि किसी की जान जोखिम में न पड़ सके। हालांकि पहले भी ऐसी घटनाओं का संज्ञान लिया जा चुका है मगर शासन-प्रशासन को भी सवेरे का इंतजार किए बिना ऐसे कार्यों का समय-समय पर संज्ञान लेते रहना चाहिए जिससे लोग बेपरवाह न रह सकें।