हिम्मते मर्दा मदद ऐ खुदा

टिहरी। टिहरी जनपद के जाखणीधार विकासखंड की ग्राम सभा चौंड के कोल गाँव निवासी विद्या दत्त पेटवाल ने अपनी संस्था "हिमालय एजुकेशन इंवायरमेंट डेवलपमेंट सोसाइटी" के माध्यम से 22 जुलाई 2020 को हरेला कार्यक्रम का आयोजन किया।  कार्यक्रम विशेष रुप से फलदार एवं औषधीय पौधों के वृक्षारोपण पर केेन्द्रित रहा।


* बंजर खेतों को जैविक खेती से आबाद करता एक पहाड़ी


इस कार्यक्रम के तहत वृक्षारोपण 15 अगस्त तक किया जाएगा। इसके उद्घाटन दिवस के अवसर पर "हिमालयन मेडिकल इंटिट्यूट/अस्पताल जौलीग्रांट" के कुलपति "डॉक्टर विजय धस्माना", राज्य मंत्री स्तर के रोशन लाल सेमवाल, क्षेत्रीय विधायक विजय सिंह पंवार 'गुड्डू', जिला पंचायत सदस्य बलवंत रावत, रेंजर पौखाल (वन विभाग) पूजा पयाल, टीएचडीसी से वर्मा जी, उद्यान विभाग प्रभारी शाह जी आदि अतिथि मौजूद रहे। सभी अतिथियों ने इस गोष्टी में अपने विचार व्यक्त किए तदुपरांत संस्था केे संस्थापक/अध्यक्ष के साथ बंजर भूमि पर वृक्षारोपण किया। यह स्थान जनपद टिहरी का एक दूरस्थ गांव है जो कि खैट पर्वत के आँचल में बसा है। विद्या दत्त पेटवाल का परिचय इतना भर है कि ये गढ़वाल मंडल विकास निगम से सेवानिवृत्त हुए हैं और उम्र के इस पड़ाव पर होने के बावजूद भी कर्तव्य पथ पर एक युवा की तरह आज भी डटे हुए हैैं। उनका आत्मविश्वास इस बात का गवाह हैै कि उन्होंने उसर भूमि को भी अपनी मेहनत के बूते आबाद कर दिखाया है। उनकी इस सार्थक पहल में उनका साथ उनके सुपुत्र रमेश पेटवाल एवं राकेश पेटवाल द्वारा बराबर दिया जाता है। दोनों सुपुत्र पिता के मार्गदर्शन में जैविक खेती, पर्यावरण एवं शिक्षा के क्षेत्र में निरंतर उत्कृष्ट कार्य कर रहे हैं। गौरतलब है कि "खैट पर्वत" को पर्यटन से जोड़ने के लिए पेटवाल बन्धुओं द्वारा वहाँ पर पैराग्लाइड प्रशिक्षण केंद्र की सम्भवनाओं को भी तलाशा जा रहा है। बीते वर्ष पैराग्लाइडर जितेंद्र बेलवाल द्वारा खैट पर्वत से उड़ान भरकर रातल में सफल लैंडिंग भी की गई। कोई व्यक्ति अगर कुछ करने की ठाने तो असंभव कुछ भी नहीं है बशर्ते इच्छाशक्ति हो। ' हिम्मते मर्दा मदद ऐ खुदा' सेवानिवृत्त बुजुर्ग जिसे सरकार ने भी उम्र के पड़ाव पर पहुंचते देख सेवा निवृत्त कर दिया हो उनकी इच्छा शक्ति ने वर्षों पुराने खेतों में जमी कंटीली झाड़ियों से जब दो-दो हाथ करने का मन बनाया तो आज जैविक खेती से खुद तो लाभान्वित होगे ही हैं समाज को लााभन्वित कर प्रेरणा देने का काम भी कर रहेे हैं । "जैविक खेती से उत्पादन" की उनकी दूर दृष्टि निश्चित ही निकट भविष्य में अच्छे परिणाम देगी वह दिन दूर नहीं जब फूलों की महकती खुशबू और फलों के लदे हुए पेड़ कोट गांव की छाप दूर तक छोड़ेगे। अगर आज का नौजवान उनसे प्रेरणा लेकर मेहनत करे तो रोजगार की संभावनाएं घर पर ही तलाशी जा सकती हैं बशर्ते इच्छा शक्ति हो।