गुड़ वेबनार से भविष्य के बीज बोते अनुभवी नेता

वैश्विक महामारी के दृष्टिगत जहाँ सभी अपने कार्यों का निष्पादन घर पर बैठकर कर रहे हैं वहीं पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत भी उम्र के इस पड़ाव में भी आईटी क्रांति के दौर में घर पर बैठकर वेबनार के माध्यम से गुड़ जो उत्तराखंड के मैदान  भागों की मुख्य फसल गन्ने से तैयार किया जाता है के महत्व को साझा कर रहे हैं। उत्तराखंड के कद्दावर नेता की उत्तराखंडियत को बचाने की पहल राजनीति से इतर है। जिसके लिए वे आज 11 जून को सायं 4 बजे  "गुड़ और चाय" पर अपने किसान साथियों को ऊर्जा देने के लिए  "गुड़ सेमिनार" जैसा "गुड़ वैबनार" करने जा रहा हैं। वे शुक्रवार 12 जून को भी दोपहर 12.00 बजे नींबू ("बड़े नींबू" और उस की नींबू सन्नी पर) के गुणों पर लोगों से चर्चा करेेंगे। उन्होंने यह भी तय किया है कि, एक दिन वे रामदाने पर भी चर्चा करेंगे। दिन पहले तो मैंने, आने वाले सोमवार का दिन निर्धारित किया था, लेकिन किन्हीं कारणवश अब मुझे, उसे और पीछे ले जाना पड़ रहा है। ये तीनों ऐसी चीजें हैं, वे मानते हैं उत्तराखंड में खेती के लिहाज से ऐसी फसलें/खेती गेम चेंजर साबित हो सकती है। गुड़ को हम उत्तराखंडी इंडस्ट्री के रुप में डेवलप कर सकते हैं, जो प्रमुखता स्वतः ही बाजारों की आवश्यकता अनुसार उपलब्ध है। हरिद्वार स्थित मंगलौर के चारों तरफ का गुड़ बहुत प्रसिद्ध होने के साथ ही लोगों की पहली प्राथमिकता में होता है। उसको थोड़ी जैविकता देकर अपने राज्य के साथ ही अन्य राज्यों में भी सरकारी प्रयासों के साथ उसकी खपत को बढ़़ावा दिया जा सकता है। गुड़ की बिक्री को बढ़ावा देने से चीनी मिलों के ऊपर भी अनावश्यक भार थोड़ा कम होगा जिससे किसान इस उम्मीद के साथ आश्वस्त होगा कि हर हालत में उसके गन्ने का उपयोग हो रहा है जिससे उसको गन्ने का मूल्य भी अच्छा मिलेगा। इस बेवनार के माध्यम से वे संदेश भी कुछ यही देना चाहते हैं कि किसान गन्ने की बुवाई ज्यादा से ज्यादा कर सके, क्योंकि धान की बुवाई पानी ज्यादा मांगती है और किसानों के मेहनत के सापेक्ष उतना लाभदायक भी सिद्ध नहीं होती। उनका मत है कि धान को लेकर के उत्तराखंड की मार्किंग कमजोर होती है इसलिए धान के बजाय गन्ना ही एक अच्छा विकल्प किसान के पास है क्योंकि गन्ने में पानी की खपत है और प्रदेश में पानी की कमी नहीं है सिर्फ भगवानपुर में थोड़ी पानी की कमी है, थोड़ी बहुत कमी ऊधम सिंह नगर के गदरपुर के आस-पास पानी की दिखाई देती है, नहीं तो उत्तराखंड में पानी पर्याप्त मात्रा में है। उन्होंने इस चर्चा के माध्यम से हरिद्वार के तीनों विधायकों तक भी संदेश भेजा है‌‌। कुछ किसानों के साथ जुड़े हुए व्यक्तियों को जिसमें किसान कांग्रेस के अध्यक्ष, सुशील राठी भी हैं, किसान नेता प्रकाश तिवारी हैं, कांग्रेस के नेता व पूर्व जिलाध्यक्ष नारायण सिंह बिष्ट हैं, मण्डी से जुड़े हुए गुड़ प्रेमी हैं प्रीत ग्रोवर से उन्होंने कहा कि कुछ उपभोक्ताओं से उन्होंने बात की है। उन्होंने लक्सर क्षेत्र के कुछ किसान नेता सतवीर चौधरी, संजय सैनी आदि को भी  इस चर्चा में आमंत्रित किया है और इधर देवाला क्षेत्र से जुड़े हुये, कांग्रेस नेता प्रभुलाल बहुगुणा , गन्ना सोसायटी के अध्यक्ष मनोज नौटियाल, जो-जो लोग उपलब्ध हो पायें सभी को बेवनार की स्वस्थ्य परिचर्चा में भाग लेने को कहा बल्कि उनका मत हैै कि अगर साधु-संतो के शंखनाद के साथ "गुड़ वैबनार" की शुरुआत हो, तो जिसके लिए उन्होंने हरिद्वार से सतपाल ब्रह्मचारी से भी आग्रह किया है कि, वे भी जुड़ें और हरिद्वार क्षेेत्र से महामंडलेश्वर से भी जुड़ने का आग्रह किया हैै। यदि ये भी साधु सम्मिलित हो जाते हैं, तो शुभ कार्य में साधुओं का आशीर्वाद भी उन्हें मिल जाता गुड़ पर परिचर्चा के लिए इसीलिए दिन का चयन कर बृहस्पतिवार रखा गया है क्योंकि बृहस्पति भगवान को गुड़ प्यारा है। वेे कहते हैं कि इसलिए तो कहा जाता है कि, "ब्राह्मण: मोदकं प्रियम" मतलब ब्राह्मण को मोदक प्रिय है, तो बृहस्पति जी का गुड़ भोजन है, तो वेे चाहते हैं कि, गुड़ का ज्यादा से ज्यादा प्रसार हो और 'गुड़ इंडस्ट्री' से उत्तराखंड की एक पहचान बन सके उनका मत है कि बेेेश इसकी उपयोगिता आज समझ न आए पर आने वाला कल इसकी उपयोगिता को समझे यानी भविष्य के लिए तो वे इस बीज डाल ही सकते है। उसी तरीके से "नींबू और रामदाना, ऊपर के पहाड़ों के लिये गेम चेंजर है, उस पर वे समय निकाल किसी अन्य दिन परिचर्चा करेंगे लेेकिन वे अपनी  "गुड़ वैबनार" में विषय वस्तु में रुचि रखने वाले सभी लोगों को आमंत्रित करना नहीं भूले। समय आज 4 से 5 बजे के मध्य "चाय और गुड़" पर अपने तजुर्बे के अनुसार चर्चा कर उत्तराखंडियत को बढ़ावा देने की बात कर रहे हैं। अब राजनीति उनकी इस परिचर्चा केे क्या मायने हैैं क्या नहीं मगर उत्तराखंड में आय के स्रोत को बढ़ावा देने के लिए जरुर एक स्वस्थ परिचर्चा साबित होगी।