वायरस जनित महामारी के दृष्टिगत केदारनाथ विधायक ने लिखा मुख्यमंत्री को पत्र

देहरादून।, कल से कुछ बदलाव दिखे न दिखे लेकिन 40 दिन के लाॅक डाउन उपरांत अचानक शराब की दुकानें खुलने से सड़कों पर बदलाव देखने को जरुर मिलेगा। इस पर केदारनाथ विधानसभा से विधायक मनोज रावत का चिंतित होना लाजिमी है। वे कल सोशल मीडिया में अपनी उस चिंता का इजहार करते हुए लिखते है कि अप्रैल 2018 के बाद बदले हुए आबकारी नियमों के अनुसार एक बार में कोई भी व्यक्ति 12 बोतल शराब और 12 बोतल बियर ले जा सकता है या रख सकता है। ऐसा वह दिन में कही बार कर सकता है यानी कि उत्तराखंड में आज के दिन हर गांव, मोहल्ला, सड़क, नुक्कड़ कोई भी कहीं पर चलते हुए या एक जगह पर इतनी शराब कानूनन रख सकता है। पुलिस या आबकारी विभाग या कोई भी उस शराब धारक का कानूनन कुछ नहीं कर सकता। उनका एक जनप्रतिनिधि होने के नाते आज के परिपेक्ष्य में चिंतिति होना भी जरुरी है वह भी तब, जब देश-प्रदेश ही नहीं अपितु समूचा विश्व ही वैश्विक महामारी के संकट भरे दौर से गुुजर रहा हो तब उनकी इस बात को लेकर चिंतित होना लाजमी है। वे समूचे परिदृश्य को अपने नजरिए से कल्पना कर देख लिखते हैं कि मौजूदा हालात को देखते हुए लॉक डाउन का पालन करना नितांत जरुरी है और ऐसे हालातों से वाकिफ होनेे के बावजूद शराब की दुकानों में ढील देना क्या तर्क संगत है। जबकि देश-प्रदेश के हालात किसी से छुपे नही हैं। ऐसे में प्रचलित नियमों और आबकारी कानून के साथ हर गांव में शराब पंहुची तो क्या तांडव होगा उम्मीद की जा सकती है। आज की गंभीरता को देखते हुए उन्होंने मुख्यमंत्री को इस आशय में एक पत्र भी जारी किया है। वे कहतेे हैं हाल के लाॅक डाउन में जब दुकानों के बंद होने के बावजूद भी चोरी छिपे ऊंचे दाम पर शराब आमजन तक पंहुची। जिस पर अंकुश लगाना वक्त की जरुरत भी हैै। इस
आशय मेें मुख्यमंत्री उत्तराखंड त्रिवेंद्र सिंह जी रावत को पत्र लिखा है आशा हैै कि वे वायरस जनित महामारी यानी कोविड-19 के प्रकोप, लॉक डाउन के नियमों, उत्तराखंड वासियों की आर्थिक स्थिति और हर गाँव में होने वाले संभावित सामाजिक द्वेषों के दृष्टिगत वे प्रदेश और जनहित में अवश्य ही उचित निर्णय लेंगेे लिखकर अपनी बात को विराम दिया है अब देेखना होगा कि मुख्यमंत्री उत्तराखण्ड की विषम भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए अपनेे एक जनप्रतिनिधि की कही बातों पर कितना गौर फरमाते हैैं।