इंसानियत की मिसाल हैं रोशन रतूड़ी

इंटरनेशनल सोशल वर्कर रोशन रतूड़ी ने एक बार फिर से समस्याओं से पीड़ित एक भारतीय को उसके परिवार से मिलवाने का नेक कार्य कर इंसानियत की एक मिसाल कायम की है। जिसका कि कुछ दिन पहले ही शरीर का एक हिस्सा सुन्न हो गया था। तबियत खराब होने के कारण विदेशी धरती में पीड़ित व्यक्ति बहुत परेशान था, जब उसे कहीं से भी कोई उम्मीद की किरण नजर नहीं आई तब मुश्किल घड़ी में विदेशी धरती में रहने वाले भारतीयों के लिए एक उम्मीद की किरण रोशन रतूड़ी हैै जो सदैव मदद के लिए आगे खड़े होकर भारतीय ही नहीं अपितु अन्य विदेशियों की मदद भी तत्परता के साथ करते हुए नजर आता है। उनकी शब्दकोश में कभी भी मजहब आड़े नहीं आया ये ही खूबी है इस अन्तर्राष्ट्रीय सामाजिक कार्यकर्ता की। रोशन कहते हैं कि उन्होंने पीड़ित संजीव कुमार से जो वायदा किया था वो उन्होंने पूरा भी किया, संजीव उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं। उनका संजीव से किसी किस्म का भी कोई रिश्ता नहीं है उनकी पहचान ही मानवता की सेवा करने को लेकर है। उनका निजी मत भी कुछ ऐसा ही है कि मदद करने के लिए खून का रिश्ता होना ही जरुरी नहीं है। जितना हो सके इंसानियत के लिए जिया जा सके। दुनिया में इससे बढ़कर कोई भी दौलत नहीं है। जितनी खुशी, सुकून किसी को मदद पहुंचा कर मिलती है शायद ही उससे ज्यादा खुशी की कोई और परिभाषा हो। रोशन इससे पूर्व भी विश्वव्यापी लाॅक डाउन की घड़ी में भी जरुरतमंदों के लिए तत्परता के साथ खड़े मिले। उन्होंने तब दो उत्तराखंडियों की और एक राजस्थानी भाई के परिजनों तक मदद पहुंचाने का काम किया। हरेक इंसान को इंसानियत को बचाए रखने के लिए उनके जैसे व्यक्तित्वोंं से प्रेरणा लेनी चााहिए। जब वे विदेशी धरती पर मानवता के सच्चे हितैषी हो सकते हैं तो हम कैसे अपने प्रवासियों को दरकिनार कर सकते हैं। हमें इस मुश्किलात घड़ी में अपने देश से सभी प्रवासियों को तत्काल राहत पहुंचाकर उन्हें उनके गंतव्य तक पहुंचाने में मदद करनी चाहिए।