पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने मुख्यमंत्री उत्तराखंड को प्रदेश हित में साझा किए तीन सुझाव।
1. उत्तराखंड की इंटर डिस्ट्रिक्ट माइग्रेट्री पॉपुलेशन (जो कुछ समय नीचे आते हैं और खेती, काम के लिये अपने गांव जाते हैं) का अध्ययन करना और उनकी एग्रीकल्चर प्रैक्टिसेज को समझना आवश्यक है। लोग मैदानी क्षेत्रों में रहते हैं, मगर पहाड़ों में भी अपनी खेती को आबाद करते हैं, उनका अपने गांव के साथ जुड़ाव बना हुआ है। ये लोग बहुधा अप्रैल के अंतिम सप्ताह में अपने गांवों में पहुंचते हैं और वहां वर्षा कालीन खेती जोतकर, बीज बोकर, फिर अपने काम में वापस आते हैं। लॉकडाउन के कारण ऐसे लोग पहाड़ के सभी लोग, उसमें सीमांत क्षेत्र भी सम्मिलित हैं, तराई क्षेत्रों में रुके पड़े हैं, इनके लिये कोई रास्ता निकाला जाना चाहिये।
2. लॉकडाउन के कारण जो गर्भवती महिलाओं या नवजात शिशुओं को जो टीके आदि लगते हैं, उसके लिये भी लोग नहीं जा पा रहे हैं, न टीका लगाने वाले जा रहे हैं, न टीका लगाने कोई जा पा रहा है और एक बार यह क्रम गड़बड़ा गया, तो ये शिशुओं और माँ के स्वास्थ्य के लिये नुकसानदायक होगा।
3. मनरेगा एक हार्नेस एक्टिविटी है, आप लोगों को इजाजत दीजिये कि, वो अपने खेत में जुताई करें, उसको भी मनरेगा मान लिया जाय, इससे बरसात में भू-गर्भ में पानी बढ़ेगा और पानी के स्रोत रिचार्ज होंगे, इसे जल संचय एक्टिविटी मानकर किया जाना चाहिये।
पूर्व मुख्यमंत्री ने मुख्यमंत्री उत्तराखण्ड से साझा किए तीन सुझाव