देहरादून।, 'विकास के नाम पर राजनीति न हो' ये कहना है मेयर सुनील उनियाल 'गामा 'का। वाकया है नगर निगम देहरादून में शामिल हुए उन ग्राम सभाओं का जो नगर निकाय चुनावों से पूर्व ग्रामीण परिवेश में थी और अब नगर निगम क्षेत्रान्तर्गत आ गई हैं। क्षेत्रीय लोगों का रोष में आना लाजमी भी है क्योंकि चुनाव पूर्व सत्ता में आने के लिए ग्रामीण आमजन से वायदा भी किया गया था कि अगर वे नगर निगम की सत्ता पर काबिज हुए तो आगामी 10 वर्षों तक उनसे टैक्स नहीं लिया जाएगा लेकिन अब सत्ता की विवशता विकास के नाम पर टैक्स की बात को स्वीकारती है। जो न तो सत्ता के लिए हितकर है और ना आमजन को ही इससे कुछ फायदा होने वाला है। बजाय फायदे के आमजन अब खुद को छला सा महसूस कर रहे हैं। जब जुवां पर दर्द छलकने लगा तो ये कहने से भी नहीं हिचकते कि हमने आपको अपना प्रतिनिधित्व करने के लिए चुनकर भेजा है कहीं ये इसी नासमझी का खामियाजा तो नहीं। अब जनता सत्ता आते ही बेचारी हो चली क्योंकि वे बजाय सत्ता हितों के बार-बार अपनी बात जो करने लगी। मेयर साहब ने क्षेत्रीय जनता के सामने विकास का पुलिंदा रख दिया लेकिन जनता है उसे भी दुत्कार रही है कहते हैं कहीं कोई विकास नहीं हुआ है। अब विकास की ऐसी नौबत क्यों आई कि वो जनता के सामने ही बौना साबित हुआ। कहीं तो बात है नहीं तो जनता यूं ही बेबश होकर मेयर के पास अपना शहरी होने का दर्द लेकर न आती। मेयर जनहित की बातों को नकारते रहे और आक्रोशित होकर कहने लगे कि वीडियो वायरल करने से क्या समस्या का समाधान हो जाता आप लोगों को अगर कोई परेशानी ही थी तो मेरे पास पहले क्यों नहीं आए। क्यों आमजन को भड़का रहे हो। मैंने छोटे व्यापारियों को तो वैसे ही टैक्समुक्त कर दिया। तुम इनके साथ क्यों आए। छोटे व्यापारी की परिभाषा और टैक्स की व्यवस्था समझाते हुए कहने लगे कि ये कोई नया कर नहीं है इसे पहले पंचायत में भी दिया जाता था। उन्होंने आमजन को कहा वीडियो बंद करो नहीं करने पर भड़के और कह डाला जो मर्जी आए कर लो टैक्स तो लगेगा ही। लेकिन क्षेत्रवासी कहां मानने वाले वे कह पड़े, न तो पोलों की उपलब्धियों से विकास होगा और न ही अन्य बातों से, विकास की सही परिभाषा सुनियोजित तरीके से व्यवस्थाएं ढर्रे पर हों। लेकिन अभी नगर निगम में आए अरसा भी नहीं हुआ और अपनी ही कही बात से मुकर गए। ऐसे में विकास को परिभाषित नहीं किया जा सकता है। संयम और शांत व्यक्तित्व का आक्रोशित होने से जनता का असहज होना लाजिमी है सरकार और नगर निगम को चाहिए कि आमजन के हितों की बात की जाए राजनीति का क्या आज है कल न जाने कौन इस पर काबिज होगा? जनता को उन्हीं के अंदाज में जबाव देना मेयर देहरादून के लिए फायदेमंद होगा। क्योंकि वे जनता से हैं जनता उनसे नहीं। अब अगर बात कहीं से निकली है तो दूर तलक तो जाएगी ही।
विकास के नाम पर राजनीति न हो - मेयर सुनील उनियाल 'गामा '