मैं रिटायर्ड हूँ, टायर्ड नहीं हूँ- हरीश रावत

देहरादून। राजनीति भी न जाने कैसे खेल खिलाती है पर राजनीति के मैदान में नेता वही है जो चुनौतियों को स्वीकार कर उनसे पार पाना जानता हो। आजकल कुछ इसी तरह का राजनीतिक तर्क-वितर्क विपक्ष की लालटेन यात्रा से शुरू हुआ। यूं तो विपक्ष के नेता प्रीतम सिंह हैं और सरकार में नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश हैं जो सरकार में कांग्रेस का पक्ष मजबूती के साथ रखने का काम करती हैं और इनसे इतर विपक्ष का अगर कोई मजबूत स्तंभ है तो वह पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत हैं जो उत्तराखंड विधान सभा चुनाव से लेकर लोकसभा चुनाव में मुंह की खाने के बावजूद भी अपना वर्चस्व बरकरार रखे हुए हैं। उनके जितने प्रशंसक सत्ता में रहते थे आज भी तादात उतनी ही है उसमें किसी किस्म की कोई कमी नहीं दिखाई देती वे जहां भी नजर आते हैं प्रशंसकों से घिरे होते हैं उनकी चहलकदमी ही उनकी राजनीतिक परिपक्वता को बताने के लिए काफी है। वे अकेले ही कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच में कुछ न कुछ चहलकदमी कर सुर्खियों में बने रहते हैं। उन्होंने दिल्ली के चुनाव के बाद एक ट्वीट किया जिसमें एक तुलनात्मक विवरण दिया था, खुद की सरकार के कार्यकाल में उठाये गये कुछ कदमों की तुलना उन्होंने दिल्ली सरकार के साथ की थी जिसको लेकर उनसे एक सवाल किया गया है कि, अगर कांग्रेस 2022 में सत्ता में आती है, तो क्या वे बिजली, पानी मुफ्त करेंगे? उन्होंने कहा कि वे इसकी बुनियाद 2015-16 व 2017 खुद के कार्यकाल में रख कर आए थे और उनके पास वह फार्मूला है, जिस फार्मूले से विद्युत कॉर्पोरेशन को नुकसान पहुंचाएं बिना ही लोगों को 200 यूनिट तक मुफ्त में बिजली दी जा सकती है और 300 यूनिट तक के खर्चे पर सब्सिडी राइस रेट पर, घटी हुई दर पर बिजली उपलब्ध करवाई जा सकती है। पानी में जरुर दिक्कतें आ सकती हैं, शहरी क्षेत्र में बहुत सरल है, मगर गांवों में विशेष तौर पर पर्वतीय गांवों में कांग्रेसजनों को कुछ और बेहतर तरीका ईजाद करना पड़ेगा, उसके लिए ढांचागत सुधार करने पड़ेंगे, तब मुफ्त में पानी भी उपलब्ध करवा सकते हैं। उसमें यदि वे निर्णय लेते भी हैं, तो खर्चा बहुत नहीं आने वाला है। इसलिए वे अपने अनुभवों से कहते हैं कि 2022 में कांग्रेस के लिए मुफ्त में बिजली, पानी देना सम्भव है। विपक्ष के कद्दावर नेता ने मुफ्त में पानी, बिजली देने की बात क्या कही तो सत्ता पक्ष के मुखिया ने उनके जबाव में उन्हें रिटायर्ड की संज्ञा दे डाली। विपक्ष के नेता ने प्रति उत्तर में जो जबाव दिया वो अक्षरशः उन्हीं के शब्दों में "उत्तराखण्ड के माननीय मुख्यमंत्री कहते हैं कि, हरीश रावत रिटायर्ड हैं, उनको मेरा यह कहना अच्छा नहीं लगा कि, हम 250 यूनिट तक बिजली, आम उत्तराखण्डी को मुफ्त में देंगे। मैं, मुख्यमंत्री जी से इतना ही कहना चाहता हूँ, मैं रिटायर्ड हूँ, टायर्ड नहीं हूँ"।  राजनेता की असल परिभाषा तो दिल्ली में अरविंद केजरीवाल ने दी उन्होंने अपनी जुबानी तरकश से ऐसा कोई भी शब्द बाण (तीर) नहीं छोड़ा जो उनके लिए घातक बने और नतीजा आज सबके सामने है। अब कौन रिटायर्ड है और कौन टायर्ड ये भविष्य केे गर्व में छिपी बातें हैं लेकिन इतना जरुर है कि व्यक्ति चाहेे कोई भी क्यों न हो, व्यापक सोच रखने वाले व्यक्ति की ही उत्तराखंड को दरकार है। अब जनता की कसौटी पर कौन खरा उतरता हैै कौन नहीं? ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा पर जनता की नब्ज टटाेलने में भी कोई बुराई नहीं। हां इतना जरुर है अगर सत्ता में बने रहना हैै तो दिल्ली में तीसरी बार पुनरावृत्ति कर मुख्यमंत्री बननेे वाले अरविन्द केजरीवाल से बहुत कुछ सीखने की जरुरत है।