बजट सत्र के दूसरे दिन सीएम त्रिवेंद्र ने किया बड़ा ऐलान  

गैरसैंण।, बजट सत्र 2020 के दूसरे दिन उत्तराखंड राज्य की अब दो राजधानियां होंगी। राज्य की ग्रीष्मकालीन राजधानी अब गैरसैंण होगी। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बजट सत्र के दूसरे दिन बुधवार को गैरसैंण (भराड़ीसैंण) को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने की घोषणा की। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बुधवार को गैरसैंण (भराड़ीसैंण) में वित्त मंत्री के रुप में अपना पहला बजट सदन में पेश किया। बजट में सरकार ने व्यय के लिए 53526 करोड़ रुपए आवंटित किए हैं। बजट पर भाषण देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार का बजट नई आकांक्षाओं और आशाओं के साथ-साथ राज्य के कमजोर वर्गों की जरुरतों को पूरा करेगा। इसमें समाज के सभी वर्गों- किसानों, मातृ शक्ति, युवाओं और उद्योग क्षेत्रों की सभी जरूरतों का विशेष ध्यान रखा गया है।


#बजट सत्र के दूसरे दिन सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने  किया ऐलान - गैरसैंण (भराड़ीसैंण) उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित


उत्तराखंड राज्य में राजधानी का मुद्दा जनभावनाओं से जुड़ा है। उत्तराखंड राज्य अवधारणा की मांग थी कि उत्तराखंड राज्य बने और उसकी राजधानी गैरसैंण बने। राज्य गठन के बाद से ही प्रदेश में पहाड़ की राजधानी पहाड़ में बनाए जाने को लेकर जन आकांक्षाओं की आवाज समय समय पर उठती रही हैं। पृथक राज्य को किए जाने वाले आंदोलन के समय से ही गैरसैंण को पहाड़ के आमजन के जनाकांक्षाओं की राजधानी माना गया और तब से अब तक अस्थाई राजधानी के नाम से देहरादून ही जानी जाती रही जो कि पहाड़ और पहाड़ियों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ था। अंतरिम सरकार से 2000 से 2019 के लंबे अर्से तक यही चलते रहा कि बिल्ली के गले में घंटी कौन बांधे अंततोगत्वा भाजपा के त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने राजधानी जैसे जटिल विषय पर फैसला लेकर आगामी राजनेताओं के लिए राजनीति करने को लेकर शायद ही कुछ छोड़ा हो। उनके इस फैसले से प्रमुख रणनीतिकार एवं अध्यक्ष नीति प्रभाग गैरसैंण राजधानी निर्माण अभियान के मनोज ध्यानी लिखते हैं कि आधी लड़ाई जीती है, आधी अभी बाकी है।  तीन निर्वाचित सरकारों में ये सदैव बहस का विषय ही बने रहा। उत्तराखंड क्रांति दल जिसने राज्य निर्माण में अहम भूमिका निभाई और राज्य गठन उपरांत समय-समय पर सरकारों को समर्थन भी दिया मगर गैरसैंण का विलाप ही करते रह गए पर सरकार में रहते कभी इस मुद्दे को लेकर हावी नहीं हुए। आज त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने ये साहसिक कदम चाहे जिस लिहाज से उठाया हो पर इसके उन्हें दूरगामी परिणाम जरुर मिलेंगे। कम से कम पहाड़ और पहाड़ियों के दिलो-दिमाग पर जोर डालने के लिए उन्होंने ये पहल अच्छी कर डाली। अब भविष्य के गर्भ में  क्या छिपा है ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा पर इस फैसले से उन्होंने वाह-वाही तो लूट ही ली है। मीडिया से वार्ता करते हुए मुख्यमंत्री ने गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाए जाने को राज्य आंदोलनकारियों और बड़े-बुुजुर्गों, मातृ शक्ति व युवा शक्ति को समर्पित किया। मुख्यमंत्री ने भावुक होते हुए कहा कि यह गर्व का पल है और एक बहुत बड़ा फैसला है। वे रात भर सो नहीं पाए और काफी सोच-विचार कर यह फैसला किया है।  2017 के घोषणा पत्र में किए गए वायदे को पूरा किया गया है। सीमान्त राज्य होने के कारण उत्तराखण्ड सामरिक दृष्टि से अति महत्वपूर्ण और आपदा की दृष्टि से अति संवेदनशील है। इन्हीं बातों और प्रदेश की जनता की जन-भावनाओं को ध्यान में रखते हुए यह ऐतिहासिक निर्णय लिया गया है, उन्होंने कहा कि अब आगे की कार्य योजना तैयार की जाएगी। यहां तमाम आवश्यक सुविधाएं विकसित की जानी हैं। गैरसैण में पानी की समस्या को दूर करने के लिए पहले से ही झील बनाए जाने पर काम किया जा रहा है। इस अवसर पर मौजूद विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद्र अग्रवाल ने प्रदेश की जनता की ओर से मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त किया और इसे मुख्यमंत्री की ओर से प्रदेशवासियों को होली तोहफा बताया। वहीं सदन में प्रस्तुत किए गए बजट पर मुख्यमंत्री ने कहा कि 53526.97 करोड़ रुपए का बजट लाया गया है। इस बार बजट में अनेक नई योजनाओं का प्राविधान किया गया है। प्रदेश के सभी ब्लॉकों विशेष तौर पर पलायन प्रभावी ब्लॉकों में स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध कराए जाने के लिए मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना है। मुख्यमंत्री पलायन रोकथाम योजना के तहत पलायन प्रकोष्ठ का गठन किया गया है। मुख्यमंत्री सीमांत क्षेत्र विकास योजना के लिए धनराशि का प्राविधान किया गया है। राज्य में गर्भवती/धात्री माताओं में एनीमिया और मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के लिए मुख्यमंत्री महिला पोषण योजना का प्राविधान है। शिक्षकों और छात्र-छात्राओं को शोध एवं विकास व नवाचार के कार्यों के प्रोत्साहन के लिए मुख्यमंत्री नवाचार कोष की स्थापना की जा रही है।