सेवानिवृत्त पुलिस उपमहानिरीक्षक पुष्कर सिंह सेलाल नहीं रहे

देहरादून। पीपीएस (प्रांतीय पुलिस सेवा) से आईपीएस तक का सफर तय करने वाले सेवानिवृत्त पुलिस उप महानिरीक्षक पुष्कर सिंह सेलाल नहीं रहे। वे रङ्ग समाज का दर्पण थे। रङ्ग समाज उनकी कमी को सदैव महसूस करेगा। क्योंकि जिस सादगी से वे जीवन निर्वहन करते और अपने समाज के लिए सदैव प्रयासरत रहते थे। उसी के फलस्वरूप वे साल 2008 में रं कल्याण संस्था में केंद्रीय अध्यक्ष के रूप मनोनीत किये गए, अपनी योग्यता, विलक्षण प्रतिभा व समाज के लिए कुछ कर गुजरने के जूनून ने उन्हें पुनः वर्ष 2012 में रं समाज का अध्यक्ष नियुक्त किया। सेवा निवृत्त उप महानिरीक्षक पुष्कर सिंह सेलाल का जीवन दुर्गम एवं अभावों में यापन कर बीता। वेे जिस गांव /समाज से ताल्लुकात रखते थे वह उत्तराखंड राज्य के पिथौरागढ़ के दूरस्थ एवं सीमांत गाँव सेला है  सेलाा गांव के ही में अत्यंत गरीब परिवार में जन्मे सेलाल अपने मधुर व्यवहार एवं सादगी के कारण अपने विद्यालय एवम साथियों के चहेते होते थे। वे जिस समाज सेे आतेे थे उस "सीमांत रङ्ग समाज के तीनो घाटियों ( दारमा, व्यास एवं चौदास ) में वे पीपीएस (प्रांतीय पुलिस सेवा) में निकलने वाले प्रथम व्यक्ति थे। उन्हें पुलिस सेवाओं की लगभग प्रत्येक शाखा में काम का अनुभव एवं दक्षता प्राप्त थी और व्यवहारिक होने के चलते सदैव लोगों की मदद को तत्पर रहते थे।  02 जुलाई 1956 को जन्मे सेलाल वर्ष 1982 में पुलिस उपाधीक्षक के पद पर पुलिस सेवा में आये, अपनी दीर्घ सेवा के दौरान उन्हें सराहनीय सेवा पदक एवं वर्ष 2014 में  राष्ट्रपति द्वारा विशिष्ट सेवा पदक से भी अलंकृत किया गया, अपने सेवा काल के रुप में सीओ मेरठ, बुलन्दशहर, रुद्रपुर एवम अपर पुलिस अधीक्षक के रूप में गौतम बुद्ध नगर बरेली जैसी जनपदों में अपनी सेवाएं देकर अपनी अलग छाप स्थापित की, उत्तराखंड के गठन के पश्चात जनपद रुद्रप्रयाग एवम चंपावत में पुलिस अधीक्षक के पद रहे और अपनी सादगीपूर्ण, सरल कार्य शैली से सभी को प्रभावित किया। सेवा काल के अंतिम दौर में अनुभवों के साथ वर्ष 2012 में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक हरिद्वार एवमं वर्ष 2015 में पुलिस उपमहानिरीक्षक नैनीताल के पद के महत्वपूर्ण दायित्वों का निर्वहन किया। वे 31 जुलाई 2016 को सेवा निवृत्त हुए। उनका पुलिस सेवा का कार्य काल अनेक उपलब्धियों से भरा रहा। सामाजिक कार्यों में रुचि होने की वजह सेे वर्ष 2008 में रं समाज कल्याण संस्था में केंद्रीय अध्यक्ष मनोनीत किये गए, अपनी योग्यता, विलक्षण क्षमता एवम समाज के लिए कुछ कर गुजरने के जुनून ने उन्हें पुनः वर्ष 2012 में रं समाज का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। अपने समाज की संस्कृति एवं परम्परा पर शोध उपरांत लिखित पुस्तक "रं ठुमचारु" आज भी समाज का मार्ग दर्शन कर रही है। अपने सरल स्वभाव के कारण उन्होंने पुलिस एवं समाज में एक अलग पहचान बनाई। जिसेे लोग आज उनके न होने पर भी उन्हें याद कर रहे हैं। किसी भी इंसान की शायद ये सबसे बड़ी पूंजी होगी जो उसके न रहने पर भी याद किया जाए। विभाग ने भी अपने सेेवा निवृत अधिकारी को सोशल मीडिया के माध्यम से भावपूर्ण श्रद्धांजलि दी।