उत्तरकाशी।, बाड़ाहाट के थोलू में उत्तराखण्ड सरकार में पूर्व मंत्री रहे दिनेश धनै ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की। उनके साथ ही पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष रहे प्रताप गुसांई भी माघ मेला उत्तरकाशी मे बतौर विशिष्ट अतिथि शामिल हुए। उत्तरकाशी की धरती पर जब टिहरी से "उत्तराखंड जन एकता पार्टी" के अध्यक्ष व उनके सभी साथी पहुंचे तो वहां के आम जन ने उन्हें हाथों हाथ लिया और वही सम्मान दिया जो एक मंत्री रहते उनके प्रोटोकॉल के हिसाब से कभी मिलता था। धनै ने थोलू में पहुंच मेला परिसर का भ्रमण करने पश्चात जनता के समक्ष अपने विचार रखे और कहा कि आज मेरा सौभाग्य है कि मुझे अपनी संस्कृति से रुबरु होने का अवसर मिला। असल मायने में यही हमारी संस्कृति है जब हमारी मां-बहनों को इस अवसर पर अपनों से मिलने अवसर मिलता है। हमारे पूर्वजों ने संस्कृति की इस अटूट कड़ी को जीवंत रखने का काम किया अब हमारी नैतिक जिम्मेदारी है कि अपने पूर्वजों की इस खोज को आगे बढ़ाने का काम करेंगे। हम लोग आज पाश्चात्य संस्कृति की आड़ में धीरे धीरे अपनी संस्कृति को ही भूल रहें हैं लेकिन मुझे खुशी है कि जिला पंचायत उत्तरकाशी ने उस संस्कृति और सांस्कृतिक धरोहरों को बचाए रखा है। हम पहाड़ियत से जब-जब दूर होंगे समझो हमारा पतन सुनिश्चित है। धनै ने पहाड़ियत को मजबूत करने पर जोर दिया। उन्होंने जिला पंचायत अध्यक्ष दीपक बिजल्वाण एवं उनकी टीम के सभी सदस्यों का दिए गए सम्मान के लिए धन्यवाद प्रेषित किया। धनै ने उत्तराखंड जन एकता पार्टी का संक्षिप्त परिचय दिया और उसके गठन के पीछे की वजह भी आमजन के समक्ष रखी। उन्होंने जिक्र करते हुए कहा कि उत्तराखण्ड एक विषम भौगोलिक परिस्थितियों वाला प्रदेश है। यहाँ की परिस्थितियों से यहां का आम आदमी ही वाकिब है जो उसका दिन-रात निर्वहन कर रहा है। हमारे पास प्रकृति प्रदत्त अपार संसाधन है लेकिन उसका फायदा हमारे उत्तराखंडियो को अपनी धरती पर नहीं मिल पाता जिसकी वजह से पलायन होना स्वाभाविक है धनै ने अपने कार्यकाल का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने पहाड़ में कई शैक्षणिक संस्थान खुलवाए ताकि हमारे नौनिहालों को मंहगे प्राईवेट संस्थानों से छुटकारा मिल सके और अपने ही घर पर सरकारी फीस में शिक्षा ग्रहण की जा सके उन्हें तकनीकी शिक्षा के लिए भटकना न पड़े। उन्होंने कहा अगर रोजगार के साधन पहाड़ों में विकसित किए जायेंगे तो क्यों हमारे नौनिहाल राज्य से बाहर नौकरियों के लिए भटकेंगे। जल, जंगल, जमीन जैसी अपार संपदा पर उत्तराखंडियो का हक है लेकिन उनके हकों को उनसे दूर किया जा रहा है इसी पीड़ा को देखते हुए उत्तराखंड जन एकता पार्टी का गठन किया गया आशा है कि लोग अपने हकों के प्रति जागरूक होंगे और उत्तराखंड जन एकता पार्टी के साथ जुड़कर नया उत्तराखंड बनाने की दिशा में ऐसे ही अपनी संस्कृति और सांस्कृतिक धरोहरों के बचाने में जन जागरूकता अभियान चलाएंगे। ताकि हमारे पहाड़ों का विकास हो सके और हमारे अपने घर में रोजगार होोने के बावजूद भी दर दर की ठोकरें खाने को विवश न हों। पहाड़ों में तकनीकी संस्थान स्वास्थ्य सेेवाओं केे संस्थान खुलेंगे, उद्योग लगेंगे तो स्वतः ही रोजगार सृृजन होंगे।
धन्नै का हुआ जोरदार स्वागत