टिहरी। टिहरी विधानसभा से भाजपा के एक कद्दावर नेता ने अपनी ही पार्टी के एक जनप्रतिनिधि के खिलाफ आवाज उठाई। ये कद्दावर नेता कोई और नहीं बल्कि भाजपा के ही वरिष्ठ और समर्पित कार्यकर्ता खेम सिंह चौहान हैं जो कि पूर्व प्रमुख भी रह चुके हैं और उनका टिहरी की राजनीति में बतौर छात्र संघ अध्यक्ष रहते हुए ही राजनीति में काफी दबदबा है। कभी इनकी कार्य कुशलता से प्रभावित होकर भाजपा ने साल 2007 में टिहरी विधानसभा सीट से उन पर विश्वास जताया। ये अलग बात है कि नेता जी भाजपा की उम्मीदों पर तब खरे नहीं उतर पाए मगर नेता जी की क्षेत्रीय लोकप्रियता में आज भी कोई कमी नहीं है। क्योंकि नेता जी का राजनीतिक पदार्पण ही छात्र राजनीति के साथ ही पंचायत यानी कि छोटी सरकार से हुआ है और आज वे भाजपा प्रदेश कार्यकारिणी में बतौर सदस्य भी हैं। आखिर उनकी विधानसभा क्षेत्र में ऐसा क्या हुआ जो उन्होंने अपनी ही पार्टी के एक जनप्रतिनिधि पर ये कहकर आरोप लगाए कि उनके हस्तक्षेप से कई विभागों के निर्माण कार्यों की निविदाएं/टेंडर गुपचुप तरीके से निकाले जा रहें हैं। वे कहते हैं कि विकास कार्यों की निविदाएं तक दैनिक समाचार पत्रों में नहीं छप रहीं है। वे आरोप लगाते हैं कि अधिकारी एक जन प्रतिनिधि के दबाव में गलत काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि एक जन प्रतिनिधि की गलत नीतियों के कारण प्रदेश सरकार और उनकी 'भारतीय जनता पार्टी' को बदनामी झेलनी पड़ रही है। उन्होंने टिहरी विधान सभा क्षेत्र में निर्माण कार्यों में भ्रष्टाचार एवं अनियमितता के बावत जिलाधिकारी टिहरी, विजिलेंस, तथा मुख्यमंत्री उत्तराखंड सरकार के साथ ही प्रधानमंत्री भारत सरकार को भी इस संबंध में सूचनार्थ करने की बात कही। अब नेताजी की बात की कितनी विश्वसनीयता है ये तो वही जाने मगर उन्होंने अपनी ही पार्टी के किसी जनप्रतिनिधि पर सवाल उठाए हैं तो उस पर सरकार को गंभीरता से कोई कार्रवाई करनी चाहिए। अब सवाल इस बात को लेकर भी उठते हैं कि एक ओर तो प्रदेश के मुख्यमंत्री जीरो टॉलरेंस की बात कर रहें हैं और दूसरी ओर उनकी पार्टी के एक जनप्रतिनिधि पर उनके ही वरिष्ठ कार्यकर्ता प्रदेश कार्यकारिणी के सदस्य भ्रष्टाचार एवं अनियमितता का आरोप लगा रहें है तो ऐसे में जीरो टॉलरेंस पर सवाल उठना लाजमी है। उनकी ही बात में प्रतिक्रिया स्वरुप कोई लिखता है कि चौहान जी आपने सही बात उठाई इस बार तो हदें पार हो गई है राष्ट्रीय निविदाओं का भी बुरा हाल है यही है जीरो टॉलरेंस। वहीं दूूसरी ओर जनपद उत्तरकाशी से भी भााजपा के ही एक वरिष्ठ कार्यकर्ता प्रतिक्रिया स्वरुप अपनी बात कहते हैं कि उत्तरकाशी का भी टिहरी से ही पुनर्गठन हुआ है..समझ गए होंगे सभी.., मेरा मतलब यहां भी ऐसा ही है।