पिथौरागढ़ उपचुनाव जनादेश का सम्मान

पिथौरागढ। पिथौरागढ़ उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी चंद्रा पंत ने वोटों से बढ़त बनाकर स्व0 प्रकाश पंत को सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी अन्जू लुण्ठी को तकरीबन 3600 वोटों से पीछे छोड़ पिथौरागढ़ का प्रतिनिधित्व अपने नाम किया। क्योंकि पिथौरागढ़ के अधूरे सपने जिन्हें स्व0 पंत ने कड़ीबद्ध संजोकर रखा होगा अब उनकी उम्मीदों पर खरा उतरने का वक्त आ गया है


स्व0 प्रकाश पंत का पुराना छायचित्र भी मानो खुश हो कर बधाई दे रहा हो।  चंंद्रा पंत की जीत स्व0 प्रकाश पंत जीत को सच्ची श्रद्धांजलि है। 


प्रकाश पंत एक सुलझे राजनीतिक व्यक्तित्वों में से एक थे। वे अपने मंद मुस्कान और विधायी ज्ञान के लिए जाने जाते थे उनकी इस रिक्तता को तो शायद कोई भर पाए लेकिन जिस सूझबूझ का परिचय देते हुए मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत और प्रदेशाध्यक्ष अजय भट्ट ने चंद्रा पंत को बतौर प्रत्याशी मैदान में उतारा वह वाकई में स्व0 पंत को सच्ची श्रद्धांजलि होगी। अब चंद्रा पंत पर निर्भर है कि वे एक जनप्रतिनिधि बनकर क्षेत्रीय जनता से संवाद स्थापित कर पाने में कितनी कारगर भूमिका निभाएंगी। चंद्रा पंत के लिए अधूरे सपनों को पूरा करना किसी चुनौती कम नहीं होगा क्योंकि उनके पास अभी राजनैतिक ज्ञान का अभाव और जब तक वे राजनीति को करीब से समझ पाएंगी तब तक समय कम रह जाएगा अब इतने कम समय में वे कैसे मतदाताओं की उम्मीदों पर खरा उतर पाएंगी ये उनके कौशल पर निर्भर करेगा। खैर समर्थकों में उल्लास का माहौल बना हुआ है और कांग्रेस अब आंकलन में जुटे हुई है कि खामियां कहां रह गयी। जो सबसे बड़ी खामी है उसे पार्टी नेतृत्व में शायद ही कोई कबूल करे कहीं न कहीं प्रत्याशी चयन में विलंब होना भी एक वजह हो सकती है। लेकिन उससे भी बड़ी वजह क्या प्रत्याशी चयन वाकई में पिथौरागढ़ विधानसभा वासियों के माकूल था। ऐसे अनगिनत सवाल है जिन पर अब सिवाय मंथन के कांग्रेस आगे बढ़ पाए जबकि जिस हिसाब एक नए कार्यकर्ता को मैदान में उतारा उस हिसाब से कांग्रेस प्रत्याशी अंजू लुंठी ने सही जन समर्थन हासिल किया। अब कांग्रेस पर निर्भर करता है कि वे भविष्य में अंजू लुंठी को मजबूत करेंगे या दांव मात्र के लिए उन जैसे कार्यकर्ताओं पर अनुप्रयोग करेंगे।