टिहरी। प्रदेश में अलग दल गठन को लेकर पूर्व कबीना मंत्री दिनेश धनै काफी समय से समान विचार धाराओं के लोगों से संवाद करने में लगे हुए हैं। उन्होंने आज प्रतापनगर विधानसभा क्षेत्र का भ्रमण कर लाेगाें की नब्ज टटाेली तथा राज्य गठन के बाद लाेगाें की मनसा काे लेकर जन संवाद किया। धनै ने सवाल किया कि आखिर किस उद्देश्य को लेकर राज्य का गठन किया गया पहाड़ से पहाड़ का पानी और जवानी दोनों का ही संकट पैदा हो गया है। पलायन बदस्तूर है पहाड़ों में राेजगार के संसाधन जुटाने के साथ ही जल, जंगल, जमीन के अधिकार से पहाड़ियों को वंचित किया हुआ है। गांवाें को विकसित करने के बजाय मैदान पर ही दोनों राष्ट्रीय दलों का फोकस है। धनै ने विधानसभा प्रतापनगर के विभिन्न गांवों का भ्रमण कर लम्बगांव लाेक निर्माण अतिथि गृह में पत्रकाराें से बातचीत में कहा कि राज्य प्राप्ति के बाद दोनाें राष्ट्रीय दल बारी-बारी से राज कर रहे हैं आैर एक दल के विकास कार्याें काे दूसरा दल स्वीकार न कर अपनी ढ़पली, अपना राग के बूते राज्य की जनता के साथ कुठाराघात कर रहें हैं। जाे जन आकांक्षाआें पर खरी नहीं उतर रही है। ये पार्टियां पहाड़ी जिलाें की उपेक्षा कर मैदानी क्षेत्रों की तर्ज पर विकास नीति तय करके गांव के विकास काे गर्त की आेर धकेलने का काम कर रहें हैं। राष्ट्रीय दलों भाजपा व कांग्रेस दोनों से अब कई बुद्धिजीवी वर्गाें का मोह भंग हो गया है और उसी के परिणामस्वरुप पहाड़ के सभी हितैषियों के साथ मिल बैठकर अलग दल गठन का निर्णय लिया गया। आज अगर कहीं जरुरत है तो राज्य के विकास मे जन मुद्दाें की निर्णायक लडाई लड़ने की। राज्य निर्माण के इन्हीं संकल्पों को लेकर 'पर्वतीय मूल अवधारणाओं की जो बात करेगा, वही पहाड़ राज करेगा।' धनै ने कहा कि नया दल राज्य में जल, जंगल और जमीन के अधिकार की बात करेगा। हमारा गांव, हमारी सरकार के केन्द्र में रहेगा। मूल निवास, पलायन राेकने, बेरोजगारी सहित विकास कार्याें मे पहाडी जिलाें मे लाेगाें की हाे रही अनदेखी काे लेकर दल कार्य करेगा। उन्हाेंने कहा कि नये दल गठन को लेकर लाेगाें का अपार जन समर्थन मिल रहा है जल्दी ही वे अपने दल काे भारी जनसमर्थन के साथ मैदान मे उतारकर मूलभूत समस्याओं काे लेकर भिड़ने का काम करेंगे। वार्ता मे धनै के साथ नई टिहरी के पूर्व प्रेस क्लब अध्यक्ष गाेविंद बिष्ट, पत्रकार देवेंद्र दुमाेगा व पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष प्रताप गुसांई पत्रकार बलबीर नेगी आदि मौजूद रहे।
क्रांतिकारी विचार धाराओं की नब्ज टटाेलते दिनेश धन्नै