दृढ़ इरादों ने तय की नई राह

टिहरी। आखिरकार उत्तराखंड के पानी और जवानी को बचाने के लिए क्रांतिकारी विचारों का जन्म जमीन पर बैठकर हो ही गया। वैसे तो क्रांतिकारी विचारों का जन्म हरीश रावत सरकार में तब हो गया था जब एक निर्दलीय विधायक रहे दिनेश धन्नै ने काबीना मंत्री तक का सफर तय किया था। उस कार्यकाल में बतौर निर्दलीय विधायक रहे दिनेश धन्नै ने अडिग रहते हुए सरकार में भागीदारी निभाने के बाद जिस तरह से पहाड़ियत बचाने के लिए स्थानीय लोगों को प्राथमिकता देकर रोजगार के साधन बढ़ाए। अगर उसमें थोड़ा योगदान भी पहाड़ियत की मजबूती को मिला होगा तो उन क्रांतिकारी विचारों के बूते पहाड़ के आम जन मानस को जोड़ने में वे कामयाब हो पाएंगे। आज उनकी उसी विचारधारा से प्रभावित होकर एक बार फिर से उनसे क्रांतिकारी विचारों के लोग उनसे जुड़ने को आतुर दिखाई दे रहें है। आज उनके नई टिहरी स्थित कैंप कार्यालय में तकरीबन 100 से 200 लोगों की तादात में ''"उत्तराखंड जन एकता पार्टी'' के नाम पर एकराय बनाकर नई विचार धारा ने जन्म ले ही लिया। अब धन्नै एक बार फिर से इन क्रांतिकारी विचारों को साथ लेकर चलने का मन बना चुके हैं और अगर पहाड़ का कोई व्यक्ति अपनी पहाड़ियत को मजबूत करने की दिशा में कोई कदम उठा रहा है तो पहाड़ियों को भी इस दिशा में पहल करनी चाहिए। बाकि तो आने वाला समय बताएगा कि धन्नै किस राह पर निकले हैं पर इतना तय है कि अगर हकीकत में वे पहाड़ियत को बचाने की दिशा में कुछ भी कर पाए तो तय है कि जिस राह धन्नै निकलेे हैं उसमें बाधा कम और साधना ज्यादा है। अब अपनी साधना में वेे कितनेे खरे उतरते हैं। ये देखना बाकी है।