आखिर ये कैसा दोगलापन

देहरादून।, जहां एक और संदेश देने के लिए तंत्र का भरपूर इस्तेमाल किया गया वहीं दूसरी ओर खुद ही ऐसे अनुप्रयोग कर डाले जैसे सब कुछ आँख मिचोली हो। खैर अनुप्रयोग सिंगल यूज पॉलीथीन को शहर ही नहीं अपितु प्रदेश भर से दूर भगाने को एक संदेश के रुप में था मगर सरकार, वाह! क्या ऐतिहासिक रिकार्ड कायम किया वह भी तंत्र की पूरी ताकत झोंक कर एक ऐसा संदेश दिया कि अगर सत्ता है तो सब कुछ संभव है। ये आज कुछ नया अनुप्रयोग नहीं है। सत्ता जब-जब जिसके हाथ लगी सभी ने कुछ न कुछ अनुप्रयोग किए ही हैं वह अलग बात है कि किसी ने इसे ऐतिहासिक बनाया कोई ऐतिहासिक बनाने की हसरत पूरी करते रह गया। सभी ने अपनी अपनी शक्तियों का इस्तेमाल कर संदेश देने की कोशिश जरुर की। अब सवाल यह उठता है कि ऐसे अनुप्रयोग से प्रदेशवासी कितने लाभान्वित होंगे। क्या संदेश की सार्थकता का यही एक तरीका था या इससे भी बेहतर कुछ किया जा सकता था।


              #Say No To Plastic#


#* पॉलीथीन और सिंगल यूज प्लास्टिक के खिलाफ जनजागरुकता के लिए नगर-निगम, देहरादून द्वारा आयोजित 50 कि.मी. लंबी मानव-श्रृंखला में शामिल हुए (स्कूली विद्यार्थी, व्यापारी, कर्मचारीगण, समाज के प्रबुद्धजन) दूनवासी#


* मानव-श्रृंखला में शामिल दूनवासियों ने प्लास्टिक मुक्त दून बनाने का लिया संकल्प।#
सरकार/नगर निगम की मंशा सिंगल यूज पॉलीथीन को प्रदेश/शहर भर से दूर भगाना प्रशंसनीय पहल है लेकिन ऐसे समय में जब बच्चे अर्धवार्षिक परीक्षा की तैयारियों पर जोर दे रहा होता है तब उनका इस तरह इस्तेमाल करना न ही स्कूल प्रबंधन के लिए फायदेमंद है ना ही विद्यार्थियों के लिए और अभिभावकों के लिए तो ये चिंता का विषय है। अब जब मानव श्रृंखला में ही कार्यकर्ता प्लास्टिक नुमा बैरीकैंडिंग, फ्लेक्स बना बात सिंगल यूज प्लास्टिक से दूरी बरतने की हो रही है और हाथों में प्लास्टिक लिए घूम रहे हो और बात स्वच्छता का संदेश देने की हो रही है तो सवाल उठना स्वाभाविक है।