छोटी सरकार के राजकाज में पात्र कृषकों को अपात्र बनाने की दिलचस्प कहानी
देहरादून l, छोटी सरकार में गांव के सर्वांगीण विकास के नाम पर जब प्रतिनिधि निर्वाचित होते तब उनसे गाँव का आम जनमानस आशान्वित होता है l शायद विजेता प्रत्याशी ऎसा ही कुछ गुर सीख कर पंचायतों का प्रतिनिधित्व करते होंगे कि जिसने चुनाव मे समर्थन दिया उसकी मौजा ही मौजा और जिसने विरोध किया उसको पाँच साल सरकार की विकास योजनाओं से कोसो दूर रखोl वह भी तब जब भारत सरकार ने ऎसी ही 'प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना' निकाली है जिसमें कई पात्र कृषक इस योजना से लाभान्वित हुए और कई जरूरत मंद कृषकों को इस योजना से वंचित किया गया जब गाँव में सरकार की इस योजना से आधे पात्र लाभान्वित हो रहे थे तब वांछित व्यक्ति उस समय सरकार को पानी पीकर कोस रहे थे भला कोसे भी क्यों न? अगर आप सरकार की विकास योजनाओ से पात्र व्यक्तियों को गाँव की उस सूची से ही अपात्र कर दो जिसमें आधे पात्र लाभान्वित हो रहे हों तो कैसे वह सरकार की वाह-वाही करेगा l मामला टिहरी झील क्षेत्र से सटे प्रतापगर विकाखंड अंतर्गत पड़ने वाली ग्राम सभा रोलाकोट से जुड़ा है इसकी जानकारी तब लगी जब गांव के ही अधिकांश लोग जो इस योजना के दायरे में आते हैं लाभान्वित हो रहे थे तो कई पात्र लोग योजना से ही महरूम थे जबकि इस कार्यक्रम को क्रियान्वित करने में ग्राम प्रधान की अहम् भूमिका होती है बावजूद तत्कालीन ग्राम प्रधान की सेहत पर भेदभाव वाले इस रवैये से शायद ही कुछ फर्क पड़ा होगाl अगर इसे चूक नाम दिया जाए तो एक चुने जन-प्रतिनिधि से पात्र को अपात्र करने में ऎसी चूक होनी तो नहीं चाहिएl आइए नजर दौड़ाते प्रधानमंत्री किसान सम्मान योजना से लाभान्वित लोगों पर जो उनकी ऑफिसियल बेव साइड में दर्ज है औरगांव के पात्र होते हुए भी जिन्हें अपात्र बनाया गया उसमे मायाराम थपलियाल, अनिल थपलियाल, तेजपाल बिष्ट, कमलेश्वर, पुरषोत्तम जैसे कई लोगो के नाम नहीं है। अब गांव का ये नौजवान गांव से बाहर रह कर भी अगर अपनो की निस्वार्थ कुछ मदद करना चाह रहा हो तो ये एक स्वागत योग्य पहल हैl दिल्ली निवासी प्रवासी उत्तराखंडी सुनील थपलियाल ने उत्तराखंड सीएम हेल्पलाईन पोर्टल में शिकायत नंबर 37798 दिनांक 22 अक्टूबर 2019 को दर्ज करवा दी है
हालांकि अभी तक उनकी दर्ज शिकायत पर किसी किस्म का कोई जबाव नहीं आया है पर इतना जरूर है कि वे सरकार के जवाब की प्रतीक्षा में हैं और उम्मीद लगाए बैठेंं हैंं कि केंद्र सरकार की बहुुप्रतिक्षित योजना से छूूठे कृषक जरूर लाभान्वित होंगेेे मगर इस समूचे प्रकरण में एक ही सवाल गैर-जिम्मेदाराना रवैयेे केेे लिए जिम्मेदारकौन?